कुछ दिन पहले तक स्वाथ्य बीमा कंपनियां पहले से गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का स्वस्थ्य बीमा (health insurance) नहीं करती थीं. मगर हाल के दिनों में स्वास्थ्य बीमा कंपनियों ने अपना दायरा कई गुना बढ़ा दिया है. अब, पालिसी होल्डर गंभीर बीमारियां होने के बावजूद रेगुलेटरी अथॉरिटी के दिशानिर्देशों के मुताबिक स्वास्थ्य बीमा लेने के हक़दार हैं। रेगुलेटरी अथॉरिटी के दिशानिर्देशों के मुताबिक गंभीर बीमारियां होने पर भी बीमा कंपनियां आपको स्वास्थ्य कवर देने से मना नहीं कर सकतीं. बीमाकर्ता अब या तो इन बीमारियों को ‘परमानेंट एक्सलुजन’ लिस्ट में ला सकतीं हैं या तो कुछ सीमा बांधकर प्रतिबंध लगा सकती हैं. यह कंपनी की नीति पर निर्भर करता है की वो बीमा कराने वाले से किस तरह का अनुबंध करती हैं.
इसी तरह मानसिक रोग और 11 अन्य बीमारियां ‘एक्सक्लूशन लिस्ट’ से हटा दी गई हैं. इनमे कई मनोवैज्ञानिक विकार, व्यावहारिक और न्यूरो डेवलपमेंट विकार, जेनेटिक या युवावस्भथा के आरंभ के विकार, और रजोनिवृत्ति से जुड़ी बीमारियों शामिल हैं. इसका मतलब है बीमाकर्ता को इन बीमारियों को भी मौजूदा पालिसी में कवर देना होगा. मौजूदा बीमारियों को अब परमानेंट एक्सक्लूजन लिस्ट में डालने की अनुमति मिल गई हैं.
2020 में नियामक अथॉरिटी के मुताबिक बीमाकर्ता 16 बीमारियों को परमानेंट एक्सक्लूजन लिस्ट में डाल सकते हैं. अगर पालिसी होल्डर को नीचे दी गईं बीमारियां भी हैं तो भी वो स्वास्थ्य कवर ले सकता है. इन बीमारियों को बीमाकर्ता पहले जोखिम भरा मानते थे. बीमाकर्ता पालिसी होल्डर को कवर देते वक़्त इन बीमारियों को परमानेंट एक्सक्लूशन लिस्ट में डाल सकते हैं.
IRDAI ने अपने एक सर्कुलर में कहा है कि बीमाकर्ताओं को प्रस्तावक या बीमित व्यक्ति की सहमति के साथ इन मौजूदा बीमारियों को एक्सक्लूशन लिस्ट में डालने की अनुमति है. जिन कंपनियों की अंडर राइटिंग पालिसी के मुताबिक वह कंपनियां इन बीमारियों के लिए बीमा कवर नहीं दे सकतीं, वह भी इन बीमारियों को एक्सक्लूजन लिस्ट में डालकर बीमा कवर दे सकतीं हैं. इन बीमारियों को पेरमेनेट एक्सक्लूजन लिस्ट में डालने की अनुमति तब ही मिलती है जब कंपनी की अंडरराइटिंग पालिसी इन बीमारियों की वजह से व्यक्ति को बीमा कवरेज देने इस इनकार कर रही हो.
यहां 16 मौजूदा बीमारियों की सूची दी गई है जिन्हें पेरमेनेट एक्सक्लूशन लिस्ट में डाला जा सकता है –
1. सारकॉइडोसिस
2. घातक नियोप्लाज्म
3. मिर्गी / एपीलिप्सी
4. हृदय रोग, जन्मजात हृदय रोग, और वाल्वुलर हृदय रोग
5. सेरेब्रोवास्कुलर रोग (स्ट्रोक)
6. इंफ्लेमेटरी बोवेल रोग
7. पुराना लीवर रोग
8. अग्नाशय/ पैंक्रियास के रोग
9. पुराना किडनी रोग
10. हेपेटाइटिस बी
11. अल्जाइमर रोग, पार्किंसंस रोग
12. डिमाइलिनेटिंग रोग
13. एचआईवी और एड्स
14. सुनने की क्षमता खोना
15. त्वचा का पैपुलोस्क्वैमस विकार
16. अवास्कुलर नेक्रोसिस (ऑस्टियोनेक्रोसिस)
ये बीमा कवर प्रतीक्षा अवधि और उप सीमाओं के साथ मिल सकती हैं. इसलिए, पालिसी चुनने से पहले उसकी गहनता से जांच कर लें और सभी शर्तो पर गौर करें ताकि बाद में दावों के निपटारे में परेशानी नहीं हो.