कोरोना काल में इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने को लेकर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ी है. मगर बीमा योजनाएं खरीदने और उनको क्लेम करने से जुड़ी जटिल और लंबी प्रक्रिया से बचकर निकलने के विकल्प उन्हें अधिक पसंद आ रहे हैं. इसमें उनकी मदद कर रही हैं इंश्योरेंस टेक्नॉलजी कंपनियां.
तकनीक की ओर बढ़ता झुकाव, ग्राहकों की बदलती जरूरतें और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने युवाओं को आकर्षित करने वाले फाइनेंशियल प्लेटफॉर्म्स की संख्या और बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाई है.
जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस सेगमेंट में प्राइवेट कंपनियों का मार्केट शेयर वित्त वर्ष 2019 के 47.97% से बढ़कर वित्त वर्ष 2020 में 48.03 फीसदी पहुंच चुका है. जीवन बीमा से जुड़ी सेवाओं में इनकी हिस्सेदारी 33.78 पर्सेंट पर है.
क्या अलग कर रही हैं इंश्योरटेक कंपनियां
इंश्योरेंस की दुनिया में टेक्नॉलजी पर जोर देने वाली कंपनियां बढ़ने का मुख्य कारण है कि आज की स्मार्टफोन जनरेशन को सबकुछ आसान तरीके से चाहिए होता है. इसे ध्यान में रखते हुए इंश्योरटेक (इंश्योरेंस टेक्नॉलजी) कंपनियां सर्विसेज में बदलाव ला रही हैं.
डिजिट इंश्योरेंस के CMO विवेक चतुर्वेदी कहते हैं, ‘डॉक्यूमेंट तैयार करने से लेकर बीमा का लाभ ग्राहक को दोने तक की पूरी प्रक्रिया को हमने आसान बनाया है. बीमा से जुड़े नियम और शर्तों को हम छोटा कर के दो पेज में पेश करते हैं, ताकि ग्राहक को सभी पहलुओं को जानने में समय ना लगे.’
चीजों को आसान और सुविधाजनक बनाने पर जो दे रहीं इंश्योरेंस कंपनियां अनोखे तरीके भी अपना रही हैं. चतुर्वेदी ने बताया, ‘कंपनियां अलग-अलग तकनीकी रास्ते ढूंढ़ रही हैं. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि फ्लाइट की टिकट बुक करते समय उसी के साथ बीमा पर्चेज करने की सुविधा इसलिए दी जाती है कि ग्राहक को यह पसंद आती है. इससे वे किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर जाकर अलग से अपनी यात्रा को इंश्योर कराने के तामझाम से बचते हैं.’
DIY का चलन
आसानी से मिलने वाली सुविधाओं के साथ ग्राहकों को अपने हिसाब से मिलने वाली बीमा भी आकर्षित करती है, जिसमें उनकी जरूरतों के हिसाब से चीजें शामिल हों. चतुर्वेदी कहते हैं कि स्मार्टफोन जनरेशन आत्मनिर्भर रहने में विश्वास रखती है. यही कारण है कि DIY का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. एक तरह की पॉलिसी हर किसी के लिए फिट नहीं बैठती, इस बात को इंश्योरटेक कंपनियां समझ रही हैं. ग्राहकों को अपने हिसाब से पॉलिसी को कस्टमाइज करने के विकल्प दे रही हैं.
इस तरह की सेवाओं से ना सिर्फ ग्राहकों, बल्कि कंपनियों का काम भी आसान हो रहा है. स्मार्टफोन ऐप के जरिए बीमा क्लेम करने की सुविधा देने से उनके लिए भी प्रक्रिया लंबी और थकाऊ नहीं रह जाती है.
चतुर्वेदी उदाहरण देते हैं, ‘मोटर इंश्योरेंस में हमने DIY प्री-इंस्पेक्शन एप्लिकेशन शुरू की है. इससे मैनुअल तरीके से निरीक्षण करने की जरूरत खत्म हुई है. जिस प्रक्रिया में पहले करीब 24 घंटे लगते थे, वह अब 10 मिनट में पूरी हो जाती है. ऐप पर आपको सिर्फ फोटो डालनी होती हैं. वे हमारे सिस्टम पर खुद आ जाती हैं.’
अब ब्लॉकचेन इंश्योरेंस की बारी?
टेक्नॉलजी का इस्तेमाल अगले चरण तक ले जाते हुए इंडस्ट्री AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित अंडरराइटिंग, क्लेम फाइलिंग के तरीके अपना रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगला फोकस ब्लॉकचेन कॉनट्रैक्ट पर हो सकता है. इसमें ग्राहकों की ओर से क्लेम फाइल करने की जरूरत ही खत्म हो जाएगी. बजाज अलायंज जनरल इंश्योरेंस ऐसा एक ट्रैवल इंश्योरेंस पेश कर चुकी है, जो फ्लाइट में देरी होने पर ब्लॉकचेन की मदद से खुद ही क्लेम सेटल कर देता है.
इस स्तर पर पहुंचने की तैयरी में लगीं कंपनियों ने इस बाजार का विस्तार किया है. एशिया-पेसिफिक में भारत इंश्योरटेक का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. S&P ग्लोबल मार्केट इंटेलिंजेंस के आंकड़ों के मुताबिक, सेक्टर में आ रहे करीब 3.66 अरब डॉलर में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की है.
S&P का कहना है कि बड़ी टेक्नॉलजी कंपनियां इस बाजार को भुनाने की कोशिश में लगी हैं. वहीं, बीमा सेवाएं देने वाली स्थापित फर्में भी खुद के डिजिटल चैनल तैयार करने में लगी हैं. जो स्टार्टअप इस ट्रांजिशन में उनकी मदद करेंगे, उनका सेगमेंट में बोलबाला बढ़ेगा.