बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए ही बीमा नियमाक इरडा (IRDAI) पिछले कुछ महीनों से ताबड़तोड़ फैसले ले रहा है. देश में अभी बीमा का दायरा बहुत ही सीमित है. आर्थिक सर्वे 2022-23 के अनुसार वर्ष 2020-21 में देश में जीवन बीमा कंपनियों की Penetration यानी पहुंच 3.2 फीसद रही. पेनेट्रेशन का मतलब है कि देश की जीडीपी में बीमा प्रीमियम का योगदान.
दरअसल, देश की आजादी के सौ साल पूरा होने तक यानी 2047 तक बीमा उत्पादों की पहुंच बढ़ाने के लिए इरडा अब एक राज्य स्तरीय बीमा योजना बनाने की कोशिश कर रहा है. इसमें जिला स्तर पर लोगों तक बीमा की पहुंच बनाने के लिए राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) के साथ मिलकर काम किया जाएगा. SCBC राज्य स्तर पर बैंकरों का सर्वोच्च निकाय है, जो बैंकिंग विकास से संबंधित मामलों पर सरकार और बैंकों के बीच समन्वय सुनिश्चित करता है.
UPI जैसा अभियान
जिस तरह से UPI भुगतान के क्षेत्र में तेज़ी आई उसी तरह की स्थिति पैदा करने के लिए इरडा जीवन और सामान्य बीमा दोनों की परिषदों के साथ मिलकर काम कर रहा है. इरडा के अध्यक्ष देबाशीष पांडा ने एक कार्यक्रम में कहा, “राज्यों में संभावना और सुरक्षा अंतर के आधार पर, हम इस प्रयास में राज्य सरकारों की समान भागीदारी के साथ एक राज्य बीमा योजना बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इससे हमें 2047 तक सभी के लिए बीमा के हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी.” पांडा ने कहा कि इरडा बीमा कंपनियों के लिए नियमों की संख्या कम करने और बीमा उत्पादों की उपलब्धता, पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने पर विचार हो रहा है.
पांडा ने कहा कि देश में बीमा का बहुत बड़ा बाजार मौजूद है लेकिन उसके अनुरूप अभी पहुंच नहीं बन पाई है. इसे आसान बनाने के लिए इरडा ने 70 से ज्यादा नियमों को खत्म कर दिया है जबकि 1,000 से अधिक नोटिफिकेशंस को वापस ले लिया है. पांडा ने बताया कि बीमा इंटरमीडियरीज़ और वितरकों को एक बार रजिस्ट्रेशन करवाने और स्थायी लाइसेंस देने की भी सिफ़ारिश की गई है. अभी इन्हें हर दो साल में रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस रिन्यू कराना होता है.
अब क्या है योजना?
इरडा के मुताबिक बीमा को बढ़ावा देने के लिए त्रिआयामी नजरिया अपनाया जाएगा जिसमें बीमा की सुगमता, बीमा विस्तार और महिला केंद्रित बीमा पर ध्यान दिया जाएगा. इसके अलावा नियामक एक पुनर्बीमा परिदृश्य बनाने की दिशा में कोशिश कर रहा है जो भारत को वैश्विक पुनर्बीमा हब बनने में सक्षम बनाएगा.