खुशखबरी! सरकार के इस फैसले से जेब पर नहीं बढ़ेगा बोझ, बचेंगे पैसा

Insurance Policy update by regulator- IRDAI का यह निर्देश हेल्थ इंश्योरेंस के साथ-साथ पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस और ट्रैवल इंश्योरेंस पर भी लागू होगा.

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पॉलिसी लेते वक्त, आपको स्पष्ट रहना चाहिए कि आपको कितने कवर की आवश्यकता है. इस सामान्य नियम यह है कि, यह बीमित राशि आपकी सालाना आय का 15-20 गुना होना चाहिए.

पॉलिसी लेते वक्त, आपको स्पष्ट रहना चाहिए कि आपको कितने कवर की आवश्यकता है. इस सामान्य नियम यह है कि, यह बीमित राशि आपकी सालाना आय का 15-20 गुना होना चाहिए.

सरकार ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले पॉलिसीधारकों को बड़ी राहत दी है. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइडर को निर्देश दिया है कि वे अपनी मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी (health policies) में कोई भी ऐसा बदलाव न करें, जिससे पॉलिसीधारकों के प्रीमियम में बढ़ोतरी हो. IRDAI का यह निर्देश हेल्थ इंश्योरेंस के साथ-साथ पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस और ट्रैवल इंश्योरेंस पर भी लागू होगा.

एक सर्कुलर में भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने कहा कि जनरल और स्टैंडअलोन हेल्थ बीमाकर्ताओं को मौजूदा पॉलिसी में ऐसे लाभों को जोड़ने या पॉलिसी को संशोधित करने की अनुमति नहीं है, जिससे प्रीमियम में बढ़ोतरी होती है. नियामक ने यह भी कहा कि बीमा कंपनियों को पिछले साल जुलाई में जारी ‘स्वास्थ्य बीमा कारोबार में उत्पाद की पेशकश पर कंसोलिडेटेड गाइडलाइंस’ के अनुसार मामूली संशोधन करने की अनुमति है.

इस हफ्ते जारी सर्कुलर में कहा गया कि मौजूदा लाभों के अतिरिक्त किसी भी नए लाभ को अतिरिक्त कवर या वैकल्पिक कवर के रूप में दिया जा सकता है और पॉलिसीधारकों को इस बारे में अच्छी तरह जानकारी देकर उन्हें विकल्प देना चाहिए. इसके अलावा नियामक ने प्रत्येक वित्त वर्ष के अंत में सभी हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट की फाइनेंशियल वॉयबेलिटी की समीक्षा करने के लिए एक्चुअरी (जोखिम गणना करने वाला) की नियुक्त करने के लिए भी कहा है. इस रिव्यू रिपोर्ट को बीमा कंपनी के बोर्ड को सबमिट किया जाएगा. प्रत्येक उत्पाद के अनुकूल या प्रतिकूल अनुभव के विश्लेषण के साथ इस तरह की समीक्षा की रिपोर्ट बीमाकर्ता के बोर्ड को प्रस्तुत की जाएगी.

बोर्ड के सुझावों और सुधारात्मक कार्रवाइयों के साथ स्थिति रिपोर्ट को प्रत्येक वित्तीय वर्ष के 30 सितंबर तक प्राधिकरण को प्रस्तुत करना होगा. IRDAI ने बीमाकर्ताओं से यह भी कहा है कि वह पॉलिसी दस्तावेज आसान शब्दों का प्रयोग करें, ताकि पॉलिसीधारक इसे आसानी से समझ सकें. इस साल 1 अक्टूबर से सभी बीमाकर्ताओं को क्लियर हेडिंग के साथ पॉलिसी कॉन्ट्रैक्ट्स का स्टैंडर्ड फॉर्मेट अपनाने का निर्देश दिया गया है ताकि पॉलिसीधारकों का ध्यान आकर्षित किया जा सके.

रेगुलेटरी के निर्देशों के मुताबिक, कॉन्ट्रैक्ट में पॉलिसी शेड्यूल, प्रस्तावना, परिभाषा, पॉलिसी के तहत मिलने वाले बेनिफिट्स, इक्स्क्लूशन, आम शर्तों सहित अन्य का विवरण होना चाहिए.

Published - March 18, 2021, 08:22 IST