इंश्योरेंस फ्रॉड इंश्योरेंस कंपनी और कस्टमर दोनों को इस तरह करता है प्रभावित

Insurance fraud के चलते क्लेम की कड़ी जांच होती है. इससे प्रोसेस लंबा हो जाता है जिसकी वजह से सेटलमेंट में देरी होती है.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 9, 2021, 10:37 IST
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अस्पताल में भर्ती होने की टोटल कॉस्ट में इजाफा जो मेडिकल प्रोब्लम का हिस्सा नहीं थीं, इस तरह के फ्रॉड भारत में बहुत कॉमन हैं

अस्पताल में भर्ती होने की टोटल कॉस्ट में इजाफा जो मेडिकल प्रोब्लम का हिस्सा नहीं थीं, इस तरह के फ्रॉड भारत में बहुत कॉमन हैं

जबकि हेल्थ इंश्योरेंस मेडिकल इमरजेंसी के कारण अचानक हुए फाइनेंशियल क्राइसिस में मददगार साबित होता है वहीं इंश्योरेंस फ्रॉड (Insurance Fraud) कस्टमर्स और कंपनी दोनों के लिए चिंता का एक खास कारण बना हुआ है. इंश्योरेंस स्कैम दोनों तरफ से हो सकता है, यानी इंश्योरेंस होल्डर या इंश्योरर की तरफ से. यदि कोई भी पार्टी पॉलिसी से अनुचित लाभ प्राप्त करने के इरादे से फ्रॉड, झूठी या गलत जानकारी देती है, तो यह इंश्योरेंस फ्रॉड है.

इस तरह के फ्रॉड (Insurance Fraud) से अक्सर इंश्योरेंस कंपनी को गंभीर नुकसान होता है. एहतियातन, इंश्योरर को सही कस्टमर्स के लिए रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के बेनिफिट को कम करने के लिए मजबूर किया जा सकता है.

ट्रीटमेंट के लिए इंश्योरेंस क्लेम फाइल करना जो वास्तव में इंश्योरेंस होल्डर को एडमिनिस्ट्रेटेड नहीं किया गया था या उन सर्विस को शामिल करके अस्पताल में भर्ती होने की टोटल कॉस्ट में इजाफा जो मेडिकल प्रोब्लम का हिस्सा नहीं थीं, इस तरह के फ्रॉड भारत में बहुत कॉमन हैं.

दूसरे तरह के हेल्थ इंश्योरेंस फ्रॉड हैं, जैसे पहले से मौजूद बीमारियों का खुलासा न करना, टेस्ट और सर्जरी को सही ठहराने के लिए नकली डायग्नोस रिपोर्ट तैयार करना.

किसी भी इंश्योरेंस फ्रॉड से जुड़ी सबसे बड़ी चिंता का विषय है इसका दूसरे कस्टमर्स पर प्रभाव. धोखाधड़ी की घटनाओं के बढ़ने से सर्विस कॉस्ट बढ़ सकती है. यदि डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन के किसी भी लेवल पर थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर या प्राइमरी इंश्योरर द्वारा ऐसे फ्रॉड की पहचान की जाती है, तो आपका क्लेम तुरंत रिजेक्ट कर दिया जाएगा.

इंश्योरेंस फ्रॉड की वजह से क्लेम की कड़ी जांच भी होती है. इससे प्रोसेस लंबा हो जाता है और सेटलमेंट में देरी होती है. इसलिए, इंश्योरेंस फ्रॉड के मामले बढ़ने पर इसका असर इंडस्ट्री और कस्टमर दोनों पर पड़ता है.

चल रही महामारी की वजह से हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम में भारी वृद्धि देखी गई है. इससे इंश्योरेंस कंपनियों पर समय पर वेरीफाई और पैसे रिम्बर्स करने का दबाव बढ़ गया है. इस दौरान फर्जी क्लेम के कई मामले सामने आए.

हालांकि, एडवांस टेक्नोलॉजी ने इंश्योरर के लिए क्लेम की जांच सहज तरीके से करना आसान बना दिया है. कस्टमर्स को सहयोग करना चाहिए और क्विक सेटलमेंट के लिए अपने क्लेम को सपोर्ट करने वाले डॉक्युमेंट्स को संभाल कर रखना चाहिए.

Published - September 9, 2021, 10:37 IST