गुमशुदा शख्स के बीमे की रकम कैसे करें क्लेम? यहां है पूरी डिटेल

इंडियन एविडेंट एक्ट के सेक्शन 108 के अनुसार, किसी व्यक्ति के गायब होने के बारे में दर्ज एफआईआर के सात साल बाद उसे मृत मान लिया जाता है.

  • Team Money9
  • Updated Date - August 18, 2021, 03:22 IST
Focus on fitness, you will get discount on life insurance policy; IRDAI is bringing new rules

अगर आप पहली बार लाइफ इंश्योरेंस कराने जा रहे हैं तो सभी कंपनियों की वेबसाइट और कस्टमर केयर पर फोन करके संबंधित जानकारी जरूर ले लें.

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हर साल प्राकृतिक आपदाओं आदि कई वजहों से बहुत से लोग गायब हो जाते हैं. लाख ढूढ़ने के बाद भी जब ये लोग नहीं मिलते तो परिजन थक-हारकर बैठ जाते हैं. ऐसे व्यक्ति का कुछ पता नहीं होता कि जिंदा है भी या नहीं. ऐसे में घर वाले क्या करें? क्या उन्हें उस व्यक्ति की बीमा रकम के लिए आवेदन करना चाहिए? और करना चाहते हैं तो यह कैसे हो सकता है? आइए इसे जानते हैं.

कब कर सकते हैं क्लेम

सामान्य तौर पर जब किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो परिवार के लोग उसकी मौत का स​र्टिफिकेट और अन्य दस्तावेज जमाकर बीमा की रकम हासिल कर लेते हैं, लेकिन गायब हुए व्यक्ति का तो कोई डेथ सर्टिफिकेट नहीं हो सकता. लेकिन एक ऐसा कानून है जिसके मुताबिक गायब हुए व्यक्ति को मृत घोषित किया जा सकता है.

इंडियन एविडेंट एक्ट के सेक्शन 108 के अनुसार, किसी व्यक्ति के गायब होने के बारे में दर्ज एफआईआर के सात साल बाद उसे मृत मान लिया जाता है. इस तरह किसी गायब व्यक्ति के बीमा की रकम हासिल करने के लिए परिजनों को कम से कम सात साल तक इंतजार करना होगा.

पॉलिसी को लैप्स होने से बचाएं

अगर व्यक्ति गायब होता है, तो उसकी जीवन बीमा पॉलिसी को बरकरार रखने के लिए परिवार के सदस्य प्रीमियम चुका सकते हैं. नहीं तो पॉलिसी लैप्स हो जाएगी. खासकर टर्म प्लान के मामले में ऐसा होता है.

बीमा कंपनी का संपर्क करें

मिसिंग व्यक्ति को मृत घोषित करने का कोर्ट ऑर्डर हासिल करने के बाद इसे बीमा कंपनी में जमा करवाएं. इसके साथ डेथ सर्टिफिकेट जैसे जरूरी दस्तावेज भी जमा करवाएं.

कोर्ट ही बीमा कंपनी को बीमा जारी करने का आदेश देता है, जिसके आधार पर बीमा कंपनी बेनिफिशियरी को अश्योर्ड डेथ बेनिफिट फंड चुकाती है. गायब व्यक्ति के कानूनी वारिसों को इसके लिए एफआईआर की कॉपी और पुलिस की नॉन-ट्रेसेबल रिपोर्ट भी जमा करनी होगी.

किन हालात में पहले मिल जाता है पैसा

कई बार गायब व्यक्ति के बीमा के मामले में 7 साल की शर्त का पालन नहीं किया जा सकता. अगर तमाम साक्ष्यों से यह बात साफ प्रमाणित हो रही है कि व्यक्ति की मौत हो चुकी है, तो बीमा कंपनी सात साल की शर्त में राहत दे सकती है, जैसे सरकार ने लिस्ट जारी कर मौत की आशंका जाहिर की हो. हालांकि अक्सर प्राकृतिक आपदाओं की हालत में बीमा कंपनी दावों का निपटान नहीं करती, क्योंकि बीमाधारक की मौत का कोई प्रमाण नहीं होगा.

Published - August 18, 2021, 03:22 IST