भारी बारिश की वजह से उत्तर भारत के कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति है. बाढ़ के दौरान जानमाल के नुकसान के साथ कई अन्य जरूरी दस्तावेज भी नष्ट हो जाते या फिर पानी में बह जाते हैं. इन्हीं में से एक है प्रॉपर्टी और बीमा के कागज. अगर पानी भरने, बाढ़ आने या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा के चलते आपके जरूरी दस्तावेज खो जाएं या नष्ट हो जाएं तो इसके लिए टेंशन न लें, क्योंकि कुछ प्रक्रिया के जरिए इन्हें दोबारा हासिल किया जा सकता है.
ट्रू कॉपी आ सकती है काम
अगर किसी के प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज, जैसे- रजिस्ट्री के कागजात, पावर ऑफ अटॉर्नी आदि प्राकृतिक आपदा में नष्ट हो गए हों तो ऐसे में ट्रू कॉपी काम आ सकती है. ये भी एक मान्य कानूनी दस्तावेज हैं. इसे आप रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय से हासिल कर सकते हैं. जानकारों के मुताबिक मूल दस्तावेज खो जाने, खराब होने या क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में कोई भी व्यक्ति पंजीकृत दस्तावेज की प्रमाणित कॉपी हासिल कर सकता है. दरअसल ये प्रमाणित मूल दस्तावेजों की डुप्लिकेट कॉपी होती है. इसमें भी ओरिजनल कॉपी की तरह सारे विवरण मौजूद होते हैं.
डुप्लीकेट कॉपी लेने की प्रक्रिया
डुप्लिकेट कॉपी के लिए आवेदन करने से पहले आपको आपने गुम हुए दस्तावेज के बारे में स्थानीय पुलिस स्टेशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करानी होगी. आप चाहें तो उप-रजिस्ट्रार को भी इसकी जानकारी दे सकते हैं. हालांकि यह अनिवार्य नहीं है. शिकायत दर्ज कराते समय संपत्ति के सभी विवरण जैसे पता, विवरण, मालिकों का नाम, सह-मालिकों का नाम इत्यादि की जानकारी दें.
आप चाहे तो समाचार पत्रों में एक नोटिस भी छपवा सकते हैं. इस नोटिस में मूल दस्तावेजों के खो जाने की जानकारी दी जाती है और जनता के किसी भी सदस्य को प्रकाशन से 15 दिनों की अवधि के भीतर संपत्ति पर कोई भी दावा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है. 15 दिन की अवधि खत्म हो जाने के बाद आप रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय में एक हलफनामा दाखिल कर आवेदन कर सकते हैं.
बीमा के कागज खो जाने पर क्या करें?
बाढ़ या अन्य इमरजेंसी में प्रॉपर्टी समेत कई बार बीमा के भी कागज बेकार हो जाते हैं. ऐसे में मुआवजे के लिए कैसे क्लेम करें ये एक चुनौती हो जाती है. इस बारे में एक्सपर्ट निशा सांघवी कहती हैं कि इस स्थिति में परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगर बीमा के कागज खो जाएं या नष्ट हो जाएं तो अपने बीमा कंपनी या एडवाइजर से संपर्क करें. उनके पास आपकी डिटेल्स मौजूद रहती हैं. वह आपको डुप्लीकेट कॉपी मुहैया करा सकते हैं. इसके अलावा भविष्य में ऐसी किसी घटना से बचने के लिए ऐसे जरूरी दस्तावेजों की फोटो खींचकर रखें. साथ ही डिजिलॉकर या ड्राइव में इन दस्तावेजों की स्कैन कॉपी रखनी चाहिए.