चंड़ीगढ़ के करतार सिंह के लिए घना कोहरा जानलेवा साबित हुआ. एक्सप्रेस वे कार दुर्घटना में घायल होने के बाद उऩ्होंने दम तोड़ दिया. पूरा परिवार गहरे सदमे में है. करतार ने 20 लाख रुपए का पर्सनल एक्सीडेंट बीमा कवर ले रखा था. मगर यह बीमा क्लेम कैसे मिलेगा, क्या इसके लिए पुलिस एफआईआर जरूरी है और अगर अभी तक एफआईआर नहीं हुई तो क्या करें? ऐसे कुछ सवाल हैं जिनके बारे में परिजनों को कुछ पता नहीं है.
देश में बहुत सारे काम डिजिटल तरीके से होने के बावजूद आम लोगों के लिए बीमा क्लेम की प्रक्रिया अब भी जटिल और तनावपूर्ण लगती है. जब परिवार किसी हादसे का शिकार हुआ है तो यह काम और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है. एक्सीडेंट के मामले में क्लेम के लिए एफआईआर जरूरी है या नहीं यह एक बड़ी बहस का मुद्दा है. अगर एफआईआर दर्ज हो जाती है तो पुलिस की जांच पर बीमा कंपनी को भरोसा हो जाता है. इससे क्लेम मिलने में आसानी हो जाएगी.
Digit General Insurance के सीनियर मैनेजर, हेल्थ क्लेम डॉ. राजा तंवर कहते हैं कि एक्सीडेंट में किसी तरह का नुकसान होने पर क्लेम के लिए सबसे पहले बीमा कंपनी को जानकारी देनी चाहिए. यह सूचना बीमा कंपनी की ईमेल आईडी या हेल्पलाइन नंबर पर दे सकते हैं. इसमें पॉलिसी का ब्योरा देना जरूरी है. इंटीमेशन देने के लिए एफआईआर की जरूरत नहीं होती. इंटीमेशन मिलने पर बीमा कंपनी जरूरी कागजात की एक सूची देगी. क्लेम फॉर्म के साथ पूरे कागजात मिलने पर बीमा कंपनी बीमा की राशि जारी कर देगी.
उन्होंने यह भी कहा कि रोड एक्सीडेंट में मौत के मामले में एफआईआर जरूरी है. एफआईआर दर्ज होने के बाद ही पुलिस पोस्टमार्टम और आगे की कार्रवाई करती है. ऐसे में बीमा कंपनी क्लेम देने से पहले एफआईआर और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट मांगेगी. अगर किसी व्यक्ति का दुर्घटना में घायल होने पर अस्पताल में इलाज हुआ है तो क्लेम के फॉर्म के साथ मेडिकल रिपोर्ट भी जमा करनी होगी. इन रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद ही बीमा कंपनी क्लेम मंजूर करेगी.
इन दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत
बीमा क्लेम के लिए पॉलिसी की कॉपी, मृतक व्यक्ति का एड्रेस और आईडी प्रूफ, एफआईआर, पोस्टमार्टम की कॉपी देनी होगी. अगर अस्पताल में इलाज हुआ है तो उसका भी ब्योरा देना होगा. इसके साथ ही नॉमिनी का KYC और बैंक खाते की डिटेल जमा करनी होगी. अगर पॉलिसी में नॉमिनी दर्ज नहीं है तो लीगल हायर सर्टिफिकेट यानी कानूनन उत्तराधिकार प्रमाणपत्र जमा करना होगा.
कब तक दायर कर सकते हैं बीमा क्लेम?
बीमा का क्लेम कब तक दायर कर सकते हैं, हालांकि इसकी कोई समय सीमा नहीं हैं. आमतौर पर इसे घटना के 30 दिन के अंदर दायर कर देना चाहिए. अगर 30 दिन के बाद क्लेम करते हैं तो बीमा कंपनी क्लेम में देरी का वाजिब कारण पूछ सकती है. क्लेम से जुड़े पूरे कागज मिलने की तारीख से बीमा कंपनी को एक महीने के भीतर क्लेम की राशि देनी होगी. बीमा क्लेम करते समय सभी जरूरी कागज एक साथ जमा कराएं. कागज पूरे न होने पर बीमा कंपनी लिखित सूचना भेजी जाएगी. फिर आवेदक के दोबारा दस्तावेज जमा करने पर काफी समय बर्बाद होगा, इसलिए अधूरी जानकारी न दें. अगर बीमा कंपनी कोई जानकारी मांगती है तो उसे सही और स्पष्ट जानकारी दें. अगर आप सूचना देने में बार-बार बयान बदलते हैं तो आपका क्लेम खारिज सकता है.