जब आप कोई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं तो हर साल कवरेज के लिए कुछ प्रीमियम चुकाना होता है. पॉलिसी अवधि के दौरान हॉस्पिटलाइजेशन के खर्चों को लेकर आप क्लेम कर सकते हैं जिससे कवरेज के मुताबिक इलाज के खर्चों की भरपाई होती है. लेकिन कई बार तो स्वास्थ्य बीमा होने के बाद भी क्लेम की सही प्रोसेस पता नहीं होने के कारण लोग बीमा का लाभ नहीं ले पाते. आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि जब आपको जरूरत हो तो स्वास्थ्य बीमा का क्लेम कैसे करें. साथ ही आपको किन-किन प्रोसेस से होकर गुजरना पड़ता है.
कैशलेस प्रोसेस में नेटवर्क अस्पताल होना जरूरी
स्वास्थ्य बीमा का क्लेम दो तरीके से लिया जा सकता है. पहला तरीका कैशलेस है और दूसरा है रिइंबर्समेंट. कैशलेस वाले तरीके में बीमित व्यक्ति का किसी नेटवर्क हॉस्पिटल में भर्ती होना जरूरी होता है. यह बहुत आसान तरीका है. इसमें बीमित व्यक्ति को सिर्फ अपना क्लेम प्रोसेस शुरू करना होता है और फिर बीमा कंपनी अस्पताल में मरीज का बिल भर देती है.
रिइंबर्समेंट में पहले खुद भरना होगा पूरा बिल
स्वास्थ्य बीमा का क्लेम लेने का दूसरा तरीका है रिइंबर्समेंट. इसकी खास बात यह है कि, इसमें बीमित व्यक्ति नेटवर्क या नॉन नेटवर्क में से किसी भी तरह के अस्पताल में इलाज के लिए जा सकता है.
इस तरीके में पहले बीमित व्यक्ति को अस्पताल का पूरा बिल खुद ही भरना होता है. बाद में बीमा कंपनी बीमित व्यक्ति को पूरे खर्च का भुगतान कर देती है.
यह है प्रोसेस
1. जब आप अस्पताल में एडमिट होने का प्लान बना रहे हैं तो एडवांस क्लेम की सूचना देनी होगी. इमरजेंसी में टीपीए या बीमा कंपनी को तुरंत सूचना दी जानी चाहिए. अस्पताल में भर्ती से संबंधित सभी दस्तावेज निर्धारित तरीके से प्राप्त करने होंगे. हॉस्पिटल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जैसे कुछ डॉक्युमेंट्स की जरुरत हो सकता है.
आपको रीइंबर्समेंट क्लेम फॉर्म भरना होगा. बीमित व्यक्ति बीमा कंपनी की वेबसाइट से आवश्यक क्लेम फॉर्म डाउनलोड कर सकता है या बीमाकर्ता के किसी भी कार्यालय/एजेंट से ले सकता है.
2. डिस्चार्ज होने के बाद, क्लेम 15 दिनों के भीतर (या निर्धारित अनुसार) प्रस्तुत किया जाना चाहिए. ग्राहक को क्लेम फाइलिंग के समय बीमाकर्ता को मूल चिकित्सा बिलों के साथ आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करना होता है.
इन दस्तावेजों में आमतौर पर एक दावा या क्लेम फॉर्म, बैंक डिटेल, आईडी कार्ड, अस्पताल से प्राप्त डिस्चार्ज समरी, जांच और निदान (डायग्नोसिस) रिपोर्ट और बिल, मूल अस्पताल और फार्मेसी बिल के साथ भुगतान प्राप्तियों और प्रेस्क्रिपशन्स शामिल होते हैं.
इसके अतिरिक्त आकस्मिक या किसी दुर्घटनावश अस्पताल में भर्ती होने के मामले में, एफआईआर की कॉपी बीमाकर्ता के साथ साझा करने की भी आवश्यकता पड़ती है.
अगर बीमित व्यक्ति को इमरजेंसी में अस्पताल में भर्ती होना पड़े तो ऐसी परिस्थिति में बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर बात करनी चाहिए और फैक्स द्वारा कंपनी को प्री-ऑथराइजेशन फॉर्म भेज देना चाहिए.
3. एक बार निर्धारित प्रारूप में टीपीए/बीमा कंपनी कार्यालय में क्लेम डॉक्युमेंट्स जमा करने के बाद, बीमाकर्ता क्लेम के अप्रूवल के लिए दस्तावेजों और रिपोर्टों का वेरिफिकेशन करेगा. क्लेम को प्रमाणित करने के लिए और ज्यादा डॉक्युमेंट्स और इंफोर्मेशन की मांग की जा सकती है. जांच के बाद क्लेम पूरी तरह से/आंशिक रूप से स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है और इसे पॉलिसी होल्डर को अवगत करा दिया जाता है.
ध्यान देने योग्य बातें
पॉलिसी डॉक्युमेंट्स में क्लेम क्लॉज से अच्छी तरह वाकिफ होना चाहिए. ताकि सभी डॉक्युमेंट्स के साथ एक वैलिड रीइंबर्समेंट क्लेम करने में सक्षम हो.
जबकि सभी ऑरिजिनल बिल और मेडिकल पेपर क्लेम डॉक्युमेंट्स के साथ जमा किए जाते हैं, पॉलिसी होल्डर्स को रिकॉर्ड के लिए जमा किए गए सभी डॉक्युमेंट्स की एक कॉपी अपने पास रखनी चाहिए.