चंडीगढ़ के चमन बिटिया के जन्म की खुशी में फूले नहीं समा रहे. अभी वो एक महीने की है. चमन बड़ी पार्टी के आयोजन की तैयारी कर रहे थे कि बिटिया को ज्वाइंडिस हो गया. हफ्ते भर हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा. पूरी बचत इलाज में खर्च हो गई. पार्टी के लिए मन मसोस कर रहे गए. अगर चमन ने बिटिया को हेल्थ इंश्योरेंस कवर लिया होता तो ये नौबत नहीं आती.
क्या हैं विकल्प?
आजकल अधिकांश लोगों के पास पहले से स्वास्थ्य बीमा पालिसी होती है. इसका नियमित अंतराल पर प्रीमियम जमा कराना होता है. इसके बाद यह पालिसी रिन्युअल होती है. घर में नया मेहमान आने के बाद जब भी स्वास्थ्य बीमा पालिसी का रिन्युअल कराएं उसमें बच्चे के स्वास्थ्य कवर को भी शामिल करा लें. फैमिली फ्लोटर प्लान में कुछ प्रीमियम जरूर बढ़ जाएगा लेकिन यह सबसे सरल प्रक्रिया है. अगर आपके पास कोई ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान है तो उसमें बच्चे को शामल कर सकते हैं. आजकल कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां बच्चों के लिए बीमा कवर दे रही हैं. इनमें Aditya Birla Activ Assure Diamond Plan, Bajaj Allianz Health Guard Plan, Bharti AXA Health Advant EDGE Plan और Care Plus Health Insurance Plan जिनमें 1.5 लाख रुपए से लेकर 3 करोड़ रुपए तक का कवर मिल रहा है.
क्या-क्या कवर होगा?
अगर बच्चा अस्पताल में 24 घंटे से ज्यादा समय तक भर्ती रहता है तो बीमा पॉलिसी इस खर्च को कवर करेगी. इस खर्च में आईसीयू चार्ज, दवा, जांच, रूम रेंट, नर्सिंग चार्ज, डॉक्टर की फीस आदि शामिल हैं. इन पॉलिसियों में अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्च भी शामिल है. इस तरह के खर्च में भर्ती होने से 60 दिन पहले और छुट्टी मिलने के 180 दिन बाद तक का खर्च कवर किया जाता है. ज्यादातर पॉलिसियों में बच्चे के वैक्सिनेशन का खर्च भी कवर होता है. हालांकि इसमें 2500 रुपए तक की सब लिमिट हो सकती है. सब लिमिट का मतलब है कि वैक्सिनेशन के खर्च में एक बार के खर्चे में कंपनी सिर्फ 2500 रुपए देगी. इसके ऊपर का खर्च आपको अपनी जेब से देना होगा. जिन लोगों के पास पहले से मैटरनिटी पॉलिसी है उसमें 90 दिन तक के बच्चे के लिए ये कवर शामिल होते हैं.
क्या है न्यूनतम आयु?
नवजात के स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा जोखिम होता है. इसलिए अधिकांश बीमा कंपनियां 90 दिन बाद बीमा कवर देती हैं. हालांकि मैटरनिटी बीमा में 90 दिन तक के बच्चे को कवर में शामिल किया जा सकता है. कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो बच्चे के जन्म के साथ ही बीमा कवर मुहैया कराती हैं. ऐसे में आपके पास कई विकल्प मौजूद हैं. इनमें से आपको जो बेहतर लगे उसका चयन कर सकते हैं. लेकिन इस बारे में कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले विभिन्न कंपनियों की योजनाओं का विश्लेषण करें.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि छोटे बच्चों की इम्यनिटी कमजोर होती है. इसलिए उनके बीमार होने की आशंका ज्यादा रहती है. इसी तरह उन्हें यह पता नहीं होता कि खुद को कैसे सुरक्षित रखना है. इससे बच्चों के दुर्घटना में चोटिल होने का ज्यादा जोखिम होता है. इस जोखिम को कवर करने के लिए बच्चों के लिए हेल्थ बीमा कवर लेना जरूरी है. हालांकि कई बीमा कंपनियां बच्चों के लिए अलग से पॉलिसी मुहैया करा रही हैं लेकिन इसे खऱीदने में कोई समझदारी नहीं है. आपके पास पहले से जो फ्लोटर हेल्थ प्लान है, बच्चे को उसी में शामिल करा लें. इससे आपको अलग-अलग पॉलिसी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. साथ ही प्रीमियम भी सस्ता पड़ेगा.
परिवार में नया मेहमान आने पर माता-पिता के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. आजकल हर मां-बाप अपने बच्चे को बड़ा इंसान बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ता लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है बच्चे के स्वास्थ्य की देखभाल. यदि बच्चा स्वस्थ रहेगा तो वह जीवन में बड़े से बड़े लक्ष्यों को हासिल कर सकता है. बच्चे की सेहत की सुरक्षा के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कवर लेना जरूरी है. आड़े वक्त में यह कदम बड़ा मददगार साबित हो सकता है. छोटे बच्चे के स्वास्थ्य संबंधी खर्च काफी ज्यादा होते हैं. बच्चे के लिए जो भी स्वास्थ्य बीमा कवर ले रहे हैं सबसे पहले यह पता करें कि उसमें क्या-क्या खर्च कवर हो रहा है.