एंप्लॉयी डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI): क्यों जरूरी है इसके बारे में पता होना

एक्टिव एंप्लॉयमेंट में मौजूद किसी भी शख्स की मृत्यु होने पर उसके परिवार को बीमा की एक रकम मिलती है. ये EDLI के तहत दी जाती है.

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image: pixabay, भारतीय पॉलिसियां विदेशों में यूनिवर्सिटी द्वारा दी जाने वाली पॉलिसियों की तुलना में काफी सस्ती हैं

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एंप्लॉयी डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI) EPF से जुड़े हुए प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए एक अनिवार्य इंश्योरेंस स्कीम है. इसमें बीमा की रकम मृत्यु से पहले के 12 महीनों में निकाली गई सैलरी (बेसिक और DA) पर निर्भर करती है.

कौन चुकाता है इंश्योरेंस प्रीमियम?

जैसा कि आपको पता होगा एंप्लॉयी और एंप्लॉयर दोनों ही EPF में 12% रकम देते हैं. EPF में इसके तीन हिस्से होते हैं. प्रॉविडेंट फंड के अलावा, एंप्लॉयर के योगदान का एक हिस्सा एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है और एक हिस्सा EDLI में जाता है.

हर महीने, सैलरी का 0.5 फीसदी हिस्सा EDLI में एंप्लॉयर और सरकार की तरफ से आता है. इससे सर्विस के दौरान एंप्लॉयी की मौत पर परिवार को बीमा मिलता है. ये इंश्योरेंस नैचुरल डेथ, बीमारी या एक्सीडेंट की हालत में दिया जाता है.

इंश्योरेंस की रकम कितनी होती है?

इंश्योरेंस की रकम गुजरे 12 महीने में निकाली गई औसत सैलरी के 30 गुने के बराबर होती है. हालांकि, अधिकतम सैलरी को 15,000 रुपये पर सीमित कर दिया गया है. इसके अलावा, 2.5 लाख रुपये का बोनस (पहले ये रकम 1.5 लाख रुपये थी) भी दिया जाता है.

अधिकतम इंश्योरेंस कवर 7 लाख रुपये है. इस स्कीम के तहत न्यूनतम इंश्योरेंस 2.5 लाख रुपये है. पिछले साल फरवरी में ही इसे 2  लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया गया है.

इंश्योरेंस रक को कैसे क्लेम कर सकते हैं?

इस स्कीम के तहत इंश्योरेंस क्लेम हासिल करने का तरीका काफी आसान है. इंश्योरेंस बेनेफिट परिवार के सदस्य, कानूनी वारिस या नॉमिनी को दिया जा सकता है. एक्टिव सर्विस के दौरान होने वाली मौत की स्थिति में परिवार या नॉमिनी को फॉर्म 5IF भरना पड़ता है.

इसके साथ डेथ सर्टिफिकेट और अन्य दस्तावेज लगाने पड़ते हैं. एंप्लॉयर इस फॉर्म पर दस्तखत करता है और इसे सर्टिफाई करता है.

अगर ये मुमकिन न हो तो इसे किसी गैजेटेड अफसर/ मजिस्ट्रेट या लोकल एमएलए से भी सत्यापित कराया जा सकता है.

इस फॉर्म को EPF की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है, लेकिन इसे ऑफलाइन भरकर EPF कमिश्नर के दफ्तर में जमा किया जाता है और क्लेम प्रोसेस किया जाता है.

इंश्योरेंस रकम को मिलने में कितना वक्त लगता है?

EPF कमिश्नर को सभी दस्तावेज और क्लेम फॉर्म के मिलने के 30 दिन के भीतर क्लेम को सेटल करना होता है. अगर कोई देरी होती है तो बेनेफिशयरी को 12 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है. ये ब्याज इंश्योरेंस की रकम मिलने के दिन तक मिलता है.

एक चीज जो ध्यान में रखनी है वो ये है कि ये इंश्योरेंस केवल ऐसे ही शख्स के लिए लागू होगा जो कि एक्टिव सर्विस में होगा. इसका मतलब है कि कर्मचारी को मृत्यु के वक्त कंपनी के साथ जुड़ा होना जरूरी है.

(लेखिका फिनवाइज पर्सनल फाइनेंस सॉल्यूशंस की फाउंडर और सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर हैं)

Published - May 9, 2021, 04:13 IST