Cyber Insurance: कोरोना महामारी के दौरान साइबर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. हाई प्रोफाइल डाटा चोरी के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है. हम में से ज्यादातर अपने कंप्यूटर और स्मार्टफोन से ही नहीं, बल्कि ऑफिस के कंप्यूटर और पब्लिक वाईफाई से भी वित्तीय लेनदेन करते हैं.
अलग-अलग उपकरणों से निजी जानकारियों को एक्सेस करने से हम तमाम तरह के जोखिमों के संपर्क में आ जाते हैं. साइबर इंश्योरेंस (Cyber Insurance) प्लान इंटरनेट से जुड़े सभी गैजेट में ऑनलाइन धोखाधड़ी से हमें कवर करता है.
किसी भी साइबर इंश्योरेंस कंपनी का प्लान चुनने से पहले यह देखना जरूरी है कि उसका कवरेज क्या है. साइबर इंश्योरेंस में दो तरह का कवरेज होता है- फर्स्ट पार्टी कवरेज और थर्ड पार्टी कवरेज.
बीमा कंपनी आपको सोशल मीडिया फ्रॉड से बचने के लिए काउंसलिंग की सुविधा भी प्रदान करती है.
-ईमेल स्पूफिंग और फिशिंग के चलते वित्तीय नुकसान, साइबर एक्सटॉर्शन कवर
-बैंक खाते, डेबिट या क्रेडिट कार्ड या ई-वॉलेट में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में धोखाधड़ी
-गोपनीयता पर हमले के कारण प्रतिष्ठा को पहुंचा नुकसान
-पहचान की चोरी के बाद अभियोजन लागत से जुड़े नुकसान और खर्च
-मालवेयर की एंट्री से डेटा या कंप्यूटर प्रोग्राम को पहुंचे नुकसान के बाद इन्हें वापस इंस्टॉल करने पर होने वाले खर्च
-परामर्श सेवाओं पर किए गए खर्च
-कोर्ट में सुनवाई के दौरान पहुंचने के खर्च
भारत में अभी इस तरह के दो साइबर इंश्योरेंस प्लान हैं. इनमें से एक है बजाज आलियांज की इंडीविजुअल साइबर सेफ इंश्योरेंस पॉलिसी.
दूसरी है HDFC एर्गो की साइबर सिक्योरिटी. साइबर इंश्योरेंस होने के बावजूद बतौर यूजर आपको सावधानी बरतनी चाहिए.
अगर प्रीमियम की बात करें, तो सामान्यतः 1 लाख के इंश्योरेंस पर 650 से 750 रुपये तक का प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है. साइबर फ्रॉड बढ़ने से इसका प्रीमियम भी बढ़ा है.
ज्यादातर में पॉलिसी होल्डर बैंक, क्रेडिट कार्ड जैसी कंपनियां होती हैं. कंपनियों की बात करें, तो 5 करोड़ रुपये इंश्योरेंस पर 4.5 से 4.8 लाख रुपये का प्रीमियम होता है और अधिकतम 50 करोड़ रुपये का बीमा भी होता है जिसका प्रीमियम करीब 20 से 25 लाख रुपये तक का होता है.
इंश्योरेंस में क्लेम की गई राशि पर लगने वाले लिमिट को सब-लिमिट कहते हैं. साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय यह देखना जरुरी है कि कौन से कवरेज पर इंश्योरेंस कंपनी कितने का सब- लिमिट लगा रही है.
अगर किसी सिस्टम के साथ साइबर ब्रीच से जुड़ी एक से ज्यादा घटना एक साथ घट जाती है, जैसे माल्वेयर ने अटैक कर दिया, साइबर अपराधी ने ग्राहकों के अकाउंट को हैक कर दिया आदि, तो ऐसे में ज्यादातर इंश्योरेंस कम्पनियां, एक समय पर, किसी एक घटना से जुड़ा क्लेम ही आपको देगी.
कुछ साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी में यहा देखा गया है कि अगर पॉलिसीहोल्डर ने कंप्यूटर सिस्टम को साइबर अटैक से बचाने के लिए एंटीवायरस जैसे जरूरी सुरक्षा का बंदोबस्त नहीं किया है, तो सुरक्षा में लापरवाही बरतने का कारण बताकर इंश्योरेंस कंपनी क्लेम देने में दिक्कत कर सकती हैं.
इंश्योरेंस एडवाजर विशाल शाह कहते हैं कि, साइबर फ्रॉड से बचने के लिए अवेयरनेस की जरूरत है.
अगर आपसे कोई पिन नंबर, एकाउंट नंबर आदि जानकारी लेता है, तो डेटा चोरी होने का खतरा बढ़ जाता है.
ऐसे में आपके लिए साइबर इंश्योरेंस लेना जरूरी हो जाता है.