Cashless Insurance: हेल्थ इंश्योरेंस की उम्मीद पर कोरोना का इलाज कराने अस्पताल पहुंचे और अगर अस्पताल ने आपको कैशलेस इंश्योरेंस होने के बावजूद कैशलेस सुविधा नहीं दी तो अब इसपर एक्शन होने की उम्मीद है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जानकारी देते हुए कहा है कि उनके सामने ऐसी कई शिकायते हैं जहां अस्पताल कैशलेस इंश्योरेंस देने से मना कर रहे हैं. इस मुद्दे पर उन्होंने इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI के चेयरमैन एस सी खुंटिया से बात की है और तुरंत एक्शन लेने को कहा है. उन्होंने कहा कि मार्च 2020 में ही कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस में कोविड को शामिल किया गया था.
उन्होंने कहा कि कैशलेस सुविधाएं नेटवर्क और अस्थायी अस्तपालों में भी उपलब्ध हैं.
Reports are being received of some hospitals denying cashless insurance. Spoken to Chairman, IRDAI Shri SC Khuntia to act immediately. In March’20 #Covid included as a part of comprehensive health insurance. Cashless available at networked or even temporary hospitals. @PIB_India
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) April 22, 2021
ट्वीट करते हुए वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि 20 अप्रैल 2021 तक इंश्योरेंस कंपनियों ने 9 लाख से ज्यादा कोविड से जुड़े क्लेम दिए गए हैं जो करीब 8,642 करोड़ रुपये के करीब होते हैं. उन्होंने जानकारी दी कि कैशलेस सुविधा (Cashless Insurance) में टेली-कंसल्टेशन भी कवर किए जाते हैं.
सीतारमण ने कहा कि इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI कंपनियों को निर्देश देगा ताकि वे ऐसे कोविड मामलों में सेटलमेंट और मंजूरी को प्राथमिकता दें.
मनी9 ने आपको पहले जानकारी दी थी कि कई अस्पताल कैशलेस क्लेम देने से मना कर रहे हैं जिससे मेडिकल बिल का खर्च बढ़ रहा है. मैक्स बुपा हेल्थ इंश्योरेंस के अंडर-राइटिंग एंड प्रोडक्ट – क्लेम्स के डायरेक्ट्र डॉ भबतोश मिश्रा का कहना है, “हमने नेटवर्क अस्पतालों से कोविड के कैशलेस इलाज (Cashless Insurance) के लिए टैरिफ एग्रीमेंट किया है. पर हमने देखा है कि अस्पताल रिइंबर्समेंट आधार पर क्लेम सेटलमेंट पर जोर दे रहे हैं जिससे ग्राहकों पर अस्पताल का बिल बढ़ रहा है.”
इंश्योरेंस कंपनियां अस्पतालों के साथ कैशलेस ट्रीटमेंट के लिए रेट तय करती हैं. कोरोना की दूसरी लहर में ये पाया गया है कि अस्पताल केशलेस पेमेंट नहीं कर रहे और बीमाधारक को डिस्चार्ज के समय पेमेंट की मांग कर रहे हैं जो उन्हें बाद में इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम करना होगा.