Cancer Insurance लेने से पहले ध्‍यान रखें ये बातें 

Cancer Insurance: कैंसर के बढ़ते खतरे के इस दौर में बीमारी को रोकना मुश्किल है लेकिन इनसे लड़ने की आपकी फाइनेंशियल तैयारी पूरी रखनी होगी.

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PIXABAY - एक्सपर्ट के मुताबिक सीनियर सिटिजन के लिए कैंसर केयर ना लें, उनके इलाज के लिए अलग पॉलिसी या फंड्स जमा करें. सीनियर सिटिजन के लिए सालाना 1 लाख रुपये तक का प्रीमियम हो सकता है.

PIXABAY - एक्सपर्ट के मुताबिक सीनियर सिटिजन के लिए कैंसर केयर ना लें, उनके इलाज के लिए अलग पॉलिसी या फंड्स जमा करें. सीनियर सिटिजन के लिए सालाना 1 लाख रुपये तक का प्रीमियम हो सकता है.

Cancer Insurance: कैंसर से जंग में आपको जितने मनोबल की जरूरत पड़ेगी उतनी ही फाइनेंशल मजबूती की भी. कई को सही हेल्थकेयर सुविधा के अभाव से भी गुजरना पड़ता है. बढ़ते खतरे के इस दौर में बीमारी को रोकना मुश्किल है लेकिन इनसे अपनी लड़ने की तैयारी पूरी कर सकते हैं. अच्छी लाइफस्टाइल आदतों के साथ ही जरूरी है कि आपके पास जरूरी कैंसर इंश्योरेंस कवर हो ताकि मेडिकल एक्सपेंस आपका दर्द ना बने. कैंसर इंश्योरेंस खरीदते वक्त इन बातों का ख्याल रखना चाहिए.

पॉलिसी टर्म

कैंसर पॉलिसी (Cancer Insurance) लेते वक्त लेते सबसे पहली चीज जो आपको चेक करनी चाहिए वो है पॉलिसी की अवधि. मान लीजिए आपने 30 साल की उम्र में कैंसर कवर लिया और टर्म था 40 साल.

यानि 70 साल की उम्र के बाद कैंसर होने पर पॉलिसी कवरेज नहीं मिलेगा. इसलिए जब भी कैंसर पॉलिसी लें उसका टर्म जितना लंबा हो उतना बेहतर.

 हर तरह और हर स्टेज का कैंसर कवर हो

पॉलिसी लेते वक्त ध्यान दें कि डॉक्यूमेंट में हर स्टेज के कैंसर को कवर किया गया हो. एडवांस स्टेज पर पता चले या शुरुआती स्टेज में, पॉलिसी हर स्टेज में आपके काम आए.

ऐसा भी संभव है कि किसी खास तरह के कैंसर को पॉलिसी एक्सक्लूड यानि कवर नहीं करती हो. इसके लिए ब्रोशर और डॉक्यूमेंट ध्यान से पढ़ना जरूरी है.

 कैंसर केयर का कवर काफी हो

कैंसर केयर (Cancer Insurance) में खर्च बड़ा होता है इसलिए सम इंश्योर्ड भी बड़ा हो. साथ ही क्योंकि टर्म लंबा होता है तो लगातार बढ़ते मेडिकल खर्च भी कवर हो सकें.

30-35 की उम्र में अगर आप 10 लाख रुपये तक का कवर लेते हैं तो सालाना प्रीमियम 10-15 हजार तक हो सकता है. हालांकि आपके लाइफस्टाइल, ऑक्यूपेशन और मेडिकल हिस्ट्री के हिसाब से प्रीमियम और बड़ा हो सकता है.

 कैंसर केयर या क्रिटिकल इलनेस?

ये बड़ा सवाल इसलिए है क्योंकि हम कभी भविष्य में हो सकने वाली बीमारियों का अंदाजा नहीं लगा सकते. क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी (Critical Illness Policy) लेना ज्यादा बेहतर है क्योंकि इसमें आपको और भी कई गंभीर बीमारियों के लिए कवर मिलेगा.

हर गंभीर बीमारी के लिए अलग पॉलिसी लेना मुश्किल है इसलिए क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी बेहतर रहेगी.

 कैंसर स्टैंडअलोन पॉलिसी या राइडर?

आप दो तरह से कैंसर कवर ले सकते हैं – पहले से मौजूद कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ प्लान में एक राइडर यानि एक एक्स्ट्रा प्लान जोड़कर या फिर कैंसर के लिए पूरी तरह से अलग पॉलिसी जिसे स्टैंडअलोन प्लान कहते हैं.

एक्सपर्ट के मुताबिक कैंसर के लिए अगर पॉलिसी ले रहे हैं तो स्टैंडअलोन ही लेना बेहतर है क्योंकि राइडर लेने पर आप भविष्य में कैंसर के रिवाइव होने या किसी और कैंसर के होने पर कवर का फायदा नहीं ले पाएंगे.

प्रीमियम वेवर प्लान

अक्सर कैंसर केयर इंश्योरेंस प्लान (Cancer Insurance) में वेवर ऑफ प्रीमियम होता है. इसकी जांच जरूर करें. इसके तहत अर्ली स्टेज कैंसर में अगले कुछ साल तक प्रीमियम देने से छूट मिल जाती है.

वहीं पॉलिसी का वेटिंग पीरियड भी देखना जरूरी है जो किसी भी तरह के इंश्योरेंस प्लान लेते वक्त चेक करना चाहिए. वेटिंग पीरियड के दौरान बीमारी होने पर कवर नहीं मिलता.

 सीनियर सिटिजन हैं तो कैंसर केयर लेना सही?

कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन सीनियर सिटिजन के लिए खतरा और ज्यादा रहता है. लेकिन सीनियर सिटिजन के लिए कैंसर केयर (Cancer Insurance) काफी महंगा होता है.

एक्सपर्ट के मुताबिक सीनियर सिटिजन के लिए कैंसर केयर ना लें, उनके इलाज के लिए अलग पॉलिसी या फंड्स जमा करें. सीनियर सिटिजन के लिए सालाना 1 लाख रुपये तक का प्रीमियम हो सकता है.

 क्लेम प्रक्रिया

कैंसर के वक्त परिवार एक इमोशनल क्राइसेस में भी रहता है. ऐसे में क्लेम में कोई दिक्कत आ जाए तो मुसीबतों का एक और पहाड़. आपके क्लेम में कोई अडचन ना रहे इसलिए पॉलिसी लेते वक्त सारी जानकारी सही-सही भरें.

अपनी मेडिकल हिस्ट्री या फिर फैमिली हिस्ट्री भी साफ-साफ बताएं ताकि जरूरत के वक्त सम इंश्योर्ड लेने में दिक्कतें ना हें. साथ ही उसी कंपनी का प्लान लें जिसका क्लेम सेटलमेंट रेश्यो 95 फीसदी हो.

 लाइफस्टाइल पर दें ध्यान

आपको इंश्योरेंस देना है या नहीं ये इंश्योरेंस कंपनी तय करती है. कई बार लाइफस्टाइल या आपके काम – ऑक्यूपेशन की वजह से इंश्योरेंस देने से मना भी किया जा सकता है.

साथ ही लाइफस्टाइल सही ना होने पर बीमारियों का खतरा भी ज्यादा रहता है. सेहत पर ध्यान देना ही सबसे पहला कदम होना चाहिए.

Published - September 27, 2021, 06:17 IST