यूज्ड कार का बीमा ट्रांसफर करना है जरूरी, समझें कैसे होती है पूरी प्रक्रिया

पुरानी गाड़ी खरीद रहे है तो आपको यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि, उसके साथ जुड़ा बीमा आपके नाम पर ट्रांसफर हो जाए.

  • Team Money9
  • Updated Date - August 24, 2021, 06:20 IST
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अगर बीमा ट्रांसफर नहीं किया होगा तो नया खरीदार थर्ड पार्टी को जो नुकसान पहुंचाएगा वह आपको चुकाना होगा.

अगर बीमा ट्रांसफर नहीं किया होगा तो नया खरीदार थर्ड पार्टी को जो नुकसान पहुंचाएगा वह आपको चुकाना होगा.

Transferring Car Insurance: कार का सौदा करते वक्त बीमा से जुड़ी बातें ध्यान में रखनी जरूरी हैं. आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि बीमा पॉलिसी वाहन मालिक के नाम पंजीकृत करा ली जाए. अगर बीमा पॉलिसी वाहन मालिक के नाम पंजीकृत नहीं है तो भी वाहन मालिक क्लेम नहीं ले पाएगा. कार की डील करने में जितना महत्व RC ट्रांसफर का है, उतना ही महत्व कार का बीमा ट्रांसफर (Transferring Car Insurance) कराने का हैं. बीमा ट्रांसफर नहीं करने पर खरीदार और विक्रेता दोनों मुश्किल में पड़ सकते हैं.

क्या कहता है कानून

मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 157 के तहत, गाड़ी बेचने वाला व्यक्ति बीमा हस्तांतरण के लिए जिम्मेदार होता है. बीमा हस्तांतरण गाड़ी बेचने के 14 दिन बाद हो जाना चाहिए. पहले 14 दिनों में गाड़ी पर थर्ड पार्टी कवर अपने आप हस्तांतरित हो जाता है और जारी रहता है. हालांकि, ओन डैमेज कवर नए धारक को पॉलिसी हस्तांतरित होने के बाद ही चालू होता है. अगर 14 दिन के अंदर अंदर हस्तांतरण नहीं किया गया तो 15वें दिन से थर्ड पार्टी कवर समाप्त हो जाता है.

बीमा ट्रांसफर की प्रक्रिया

IRDAI के नियम के मुताबिक, मोटर बीमा दावा करते समय रजिस्ट्रेशन और बीमा दस्तावेजों पर एक ही नाम होना आवश्यक है. कोई दुर्घटना होने पर उसके खर्चे के लिए यह आपातकाल में काम आता है, साथ ही अपने वाहन को बीमित नहीं करने पर क्लेम भी अस्वीकार हो सकता है.

जरूरी दस्तावेज़
– पंजीकरण प्रमाणपत्र / फॉर्म 29 की नयी प्रतिलिपि
– पुरानी पॉलिसी के कागजात
– पुराने पॉलिसीधारक से नो-ऑब्जेक्शन प्रमाणपत्र (NOC)
– नया एप्लीकेशन फॉर्म
– बीमा कंपनी की जांच रिपोर्ट
– नो-क्लेम बोनस की डिफरेंस रकम

बीमा ट्रांसफर नहीं करवाया तो

बीमा कंपनियों के पास ऐसे क्लेम आते हैं, जब किसी और से वाहन खरीदने वाले ने बीमा पॉलिसी अपने नाम ट्रांसफर किए बगैर दावा किया हो. ऐसे में दावा खारिज कर दिया जाता है. जब आप सैकेंड-हैंड कार खरीदते हैं या बेचते हैं तो सुनिश्चित कर लें कि बीमा का भी ट्रांसफर हो गया है कि नहीं. वाहन बेचने और खरीदने वाले दोनों की जिम्मेदारी है कि बीमा दूसरे के नाम ट्रांसफर हो जाए.

खरीदार को नुकसान

अगर आप भविष्य में होने वाली देनदारियों से बचना चाहते हैं तो सैकेंड हैंड गाड़ी खरीदते वक्त कार बीमा पॉलिसी अपने नाम पर हस्तांतरित करना आवश्यक है. अगर कोई हादसा या दुर्घटना होती है और वाहन के साथ साथ किसी तीसरे पक्ष को भारी नुकसान पहुंचता है तो बीमा क्लेम करने के लिए आपके नाम से पॉलिसी का होना जरूरी है, वर्ना आपका क्लेम खारिज कर दिया जाएगा.

विक्रेता को नुकसान

यदि आप गाड़ी बेच देते हैं तो आपको वाहन बीमा पॉलिसी नए मालिक के नाम ट्रांसफर करवा देनी चाहिए. यदि नया मालिक किसी दुर्घटना मे थर्ड पार्टी नुकसान करेगा तो पॉलिसी अभी भी आपके नाम पर होने से थर्ड पार्टी लायबिलिटी भरने के जिम्मेदार आप होंगे.

नो-क्लेम बोनस का फायदा नहीं मिलेगा

क्लेम नहीं करने पर आपको नो-क्लेम बोनस मिलता है, जिसका लाभ पॉलिसी रिन्युअल के समय प्रीमियम पर डिस्काउंट के रूप में मिलता है. अगर आप अपनी गाड़ी बेचते हैं तो आपको जितने भी नो-क्लेम बोनस एकत्रित हुए है उन्हें हस्तांतरित करना होगा, जिससे पॉलिसी रिन्युअल के समय प्रीमियम पर डिस्काउंट का लाभ मिल सके.

Published - August 24, 2021, 06:20 IST