'सैशे' इंश्योरेंस में है दम, दूर-दराज तक पहुंच बढ़ाने की जरूरत

Sachet Insurance: किफायती बीमा का ज्यादा से ज्यादा लोग लाभ उठा सकें, इसके लिए जरूरी है कि प्लान अफोर्डेबल होने के साथ लोगों के बीच उसकी जानकारी पहुंचे

  • Team Money9
  • Updated Date - August 15, 2021, 12:52 IST
bite sized insurance policies are good, need to reach grassroots levels

pixabay: कॉम्प्रेहेन्सिव कार इंश्योरेंस सबसे ज्यादा खरीदा जाने वाला कवर है. एक कॉम्प्रेहेन्सिव पॉलिसी न केवल थर्ड पार्टी की देनदारियों और नुकसान के लिए बल्कि आपको और आपकी अपनी कार को हुए नुकसान के लिए भी फाइनेंशियल मदद प्रदान करती है.

pixabay: कॉम्प्रेहेन्सिव कार इंश्योरेंस सबसे ज्यादा खरीदा जाने वाला कवर है. एक कॉम्प्रेहेन्सिव पॉलिसी न केवल थर्ड पार्टी की देनदारियों और नुकसान के लिए बल्कि आपको और आपकी अपनी कार को हुए नुकसान के लिए भी फाइनेंशियल मदद प्रदान करती है.

सस्ते में मिलने वाले छोटे इंश्योरेंस प्लान इन दिनों खूब पसंद किए जा रहे हैं. मिस हुई फ्लाइट को कवर करने के लिए एक रुपया का इन-ट्रिप इंश्योरेंस, बैगेज लॉस या मेडिकल इमरजेंसी, सैलरी प्रोटेक्शन के लिए इंश्योरेंस, साइकिल इंश्योरेंस, मैराथन इंश्योरेंस, ‘पे-एज-यू-यूज’ कार इंश्योरेंस या डेंगू इंश्योरेंस कुछ ऐसे यूनिक ऑफर हैं, जिनकी कॉस्ट बहुत कम है. इन्हें बाइट-साइज इंश्योरेंस कहा जाता है और मेट्रो शहरों में ये काफी पॉपुलर हो रहे हैं.

बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के रिटेल अंडरराइटिंग के हेड गुरदीप सिंह बत्रा का कहना है, ‘सेशे प्रोडक्ट शॉर्ट टर्म पोलिसियां हैं, जिनका प्रीमियम एनुअल कवरेज पॉलिसियों की तुलना में सस्ता है. इस तरह के प्रोडक्टों का उद्देश्य इंश्योरेंस को जीवन का एक हिस्सा बनाना है. खास तौर से इसकी अफोर्डेबिलिटी का मुख्य लक्ष्य इंश्योरेंस की पैठ को आबादी के सभी वर्गों में बढ़ाना है.’

मगर क्या ये अपना उद्देश्य पूरा कर पा रहे हैं? किफायती इंश्योरेंस प्रोडक्ट मिलेनियल्स को आकर्षित करते हैं. लेकिन छोटे शहरों का क्या? बीमा का ज्यादा से ज्यादा लोग लाभ उठा सकें, इसके लिए जरूरी है कि प्लान अफोर्डेबल होने के साथ लोगों के बीच उसकी जानकारी पहुंचे. ‘सैशे’ इंश्योरेंस का आयडिया बढ़िया है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसकी पहुंच अभी वहां तक नहीं हुई है, जहां सबसे ज्यादा जरूरत है.

WIMWIsure के फाउंडर और CEO रविंद्र कुमार कहते हैं, ‘न केवल इंश्योर-टेक बल्कि इंश्योरेंस कंपनियां भी सैशे-साइज प्रोडक्ट को लेकर उत्साहित हैं. लेकिन प्रोडक्ट की पहुंच दूर तक नहीं है. बिहार या महाराष्ट्र के लोग बाढ़ से जूझ रहे हैं. डेंगू और मलेरिया का खतरा गांवों में बड़े शहरों से ज्यादा है. मेट्रो में रहने वाले ज्यादातर लोगों के पास पहले से हेल्थ इंश्योरेंस प्लान होता है. वेक्टर-बोर्न डिजीज कवर अच्छा है, लेकिन इसे बिहार और महाराष्ट्र के दूर-दराज की जगहों के जरूरतमंदों तक पहुंचाना चाहिए.’

डिस्ट्रीब्यूशन एक चुनौती

इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स की बात करें तो इनका डिस्ट्रीब्यूशन अहम मुद्दा है. ऐसे प्रोडक्ट डिजिटल माध्यम से आसानी से खरीदे जा सकते हैं. लेकिन भारत का एक बड़ा हिस्सा डिजिटल के इस्तेमाल से परिचित नहीं है. WIMWIsure के रविंद्र कुमार ने कहा, ‘हमें इन प्रोडक्ट्स को लार्ज स्केल पर डिस्ट्रीब्यूट करने के तरीकों का पता लगाने की जरूरत है. कम दाम होने की वजह से डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन भी कम हो जाती है. जब तक वे सैशे प्रोडक्ट की कम से कम हजार पॉलिसी न बेच लें, उनके लिए यह फायदेमंद नहीं होने वाला. हमें डिस्ट्रीब्यूशन में इनोवेशन की जरूरत है.’

अफ्रीका की इंश्योर-टेक कंपनी वर्ल्ड कवर, एम-पेसा जैसी पेमेंट फर्मों के साथ टायअप करके किसानों को क्लाइमेट-बेस्ड इंश्योरेंस ऑफर करती है. यह सूखे और बारिश जैसे हालातों के लिए कवर देती है. ऐसा मॉडल भारत में काम कर सकता है. वर्ल्ड कवर का भारत, इंडोनेशिया और कम इंश्योरेंस पैठ वाले कई विकासशील देशों में ऑपरेशन बढ़ाने का प्लान है.

कंपनियां बना रहीं योजनाएं

बजाज कुछ रिटेलर्स के साथ सैशे इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स के लिए पेमेंट सॉल्यूशन और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़ा है. एक इंश्योर-टेक कवरजीनियस, एम्बेडेड इंश्योरेंस स्पेस में टियर -3 और टियर -4 शहरों के लिए सैशे प्रोडक्ट लॉन्च करने की योजना पर काम कर रही है.

कवर जीनियस के इंडिया और SEA के मैनेजिंग डायरेक्टर अरिजीत चक्रबर्ती कहते हैं, ‘हम एम्बेडेड इंश्योरेंस बेचने के लिए भारत में कुछ नियो बैंक और बाय-नाउ-पे-लेटर प्लेटफॉर्म के साथ बातचीत कर रहे हैं. जब कोई छोटा शॉपकीपर या बिजनेस ओनर एक नियो बैंक के साथ अकाउंट खोलता है या बाय-नाउ-पे-लेटर पर साइन अप करता है, तो हम उन्हें कम टिकट वाले लाइफ और हेल्थ, टू-व्हीलर, प्रॉपर्टी या फायर जैसे इंश्योरेंस के लिए नोटिफाई करेंगे. हम उनके लिए प्रोसेस को आसान बनाएंगे.’

इंश्योर-टेक के पास ग्लोबल डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म XCover है, जो किसी भी देश और भाषा में पर्सनलाइज इंश्योरेंस प्रोडक्ट का वितरण करने का दावा करता है. भारत में इंश्योरेंस पेनिट्रेशन पर कुमार कहते हैं कि जब तक कोई पड़ोसी पानवाला इंश्योरेंस का डिस्ट्रीब्यूटर नहीं बन जाता, तब तक आप देश में लो इंश्योरेंस पेनेट्रेशन से नहीं निपट सकते.

सैशे-साइज इंश्योरेंस प्रोडक्ट सस्ते हैं और छोटे शहरों में इस्तेमाल किए जा सकते हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि ये कवरेज पर्याप्त नहीं है. सैशे प्रोडक्ट के साथ एक पूरा इंश्योरेंस लेने की भी जरूरत होगी.

चक्रबर्ती कहते हैं, ‘भारत में 90% से ज्यादा प्रोटेक्शन गैप है. पेनिट्रेशन को रूट लेवल पर बाइट साइज इंश्योरेंस के साथ शुरू करना होगा. हमारा प्लान पहले प्रोटेक्शन गैप को भरना है. 5 लाख रुपये का लाइफ कवर होना न होने से बेहतर है.’

Published - August 15, 2021, 12:52 IST