पिछले दो सालों में भारत के लोगों ने कोरोना के कारण काफी परेशानियों का सामना किया है. इस महामारी के दौरान लोगों ने लड़खड़ाती स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को भी देखा है. वहीं कोरोना की दूसरी लहर में हेल्थ सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. इस महामारी के दौर में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने हेल्थ क्लेम की संख्या में भी जबरदस्त इजाफा देखा है, खासकर कोविड से संबंधित पॉलिसियों के तहत. हालांकि इंश्योरेंस कंपनियां इतनी ज्यादा संख्या में क्लेम के लिए तैयार नहीं थीं. अब कंपनियां क्लेम सेटल कराने में संघर्ष कर रही हैं.
हाई कोर्ट ने IRDAI से 30 से 60 मिनट के अंदर संबंधित अस्पतालों को कैशलेस मंजूरी देने और शिकायतों का समाधान करने का आदेश दिया है. IRDAI ने गाइडलाइन जारी करते हुए कहा है कि सैटलमेंट को तेजी से और बेहतर तरीके से अमल में लाया जाए. इसके अतिरिक्त, समय-सीमा का अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रयास में TPA को उचित दिशा-निर्देश जारी किये गए ताकि बीमार प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके.
महामारी के दौर में बड़ी संख्या में क्लेम आने के कारण इंश्योरेंस एजेंसियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. बढ़े हुए क्लेम और नुकसान के रेशो में इजाफे ने इंश्योरेंस कंपनियों को उद्योग की फाइनेंशियल स्थिरता के बारे में चिंता में डाल रखा है. रिपोर्ट के मुताबिक गैर-लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री को फाइनेंशियल ईयर 2022 की पहली तिमाही में 12.2 लाख कोविड संबंधी क्लेम हासिल हुए हैं, जो बीते साल की तुलना में ज्यादा हैं. इन आंकड़ों से दूसरी लहर के कहर का अंदाजा लगाया जा सकता है. 6 जून 2021 को हुई बोर्ड मीटिंग के बाद सामने आया कि कोटक लाइफ इंश्योरेंस ने नुकसान का अनुमान लगाया है. पहली तिमाही में बढ़े क्लेम के कारण शेयर होल्डर्स अकाउंट में 225-275 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. ये आंकड़े बीते साल के मुनाफे की तुलना में बिल्कुल उलट हैं.
बजाज आलियांज के डेटा के मुताबिक, जनरल इंश्योरेंस फाइनेंशियल ईयर 2021 की तुलना में दूसरी लहर के दौरान सामान्य बीमा से 100% से ज्यादा COVID ग्राहकों का अनुभव किया है.
IRDAI ने एक इंटरव्यू में बताया कि इंश्योरेंस कंपनियों ने 22 जून तक COVID-19 हेल्थ क्लेम का 80% यानी 1500 करोड़ रुपये सेटल किए हैं. इंश्योरेंस कंपनियों को अब तक करीब 19.11 लाख क्लेम मिल चुके हैं. IRDAI ने बताया है कि 88 फीसदी मौत का क्लेम 3,593 करोड़ रुपये का रहा है. संस्था ने महामारी की ऐसी अभूतपूर्व परिस्थितियों से और अच्छे से निपटने के लिए नई नीतियां तैयार करने का काम किया है. फाइनेंशियल ईयर 2021 में COVID-19 मामलों में इजाफा जारी है, लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों को कुछ प्रावधानों को बदलना होगा.
10 मई को जारी हुए IRDAI के सर्कुलर के मुताबिक सभी कंपनियों को नवीनीकरण के लिए कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पॉलिसियों की पेशकश करनी चाहिए. इसके अलावा, कुछ बीमा कंपनियों ने 30 सितंबर तक COVID से संबंधित पॉलिसी नवीनीकरण को अस्वीकार कर दिया है.
कई मामलों में, बीमा कंपनियों ने हल्के COVID-19 लक्षणों के कारण होम केयर अन्य गंभीर बीमारियों और अस्पताल में भर्ती होने के क्लेम को खारिज कर दिया है. क्लेम रिजेक्ट किए जाने के कई और कारण भी हो सकते हैं जिनमें आवश्यक शर्तों का पालन ना करना शामिल हैं.
इंश्योर्ड व्यक्तियों को COVID इंश्योरेंस पॉलिसी के खिलाफ इंश्योरेंस क्लेम करते समय देखने की सख्त जरूरत है. ताकि क्लेम करते समय उन्हें किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े. इसके तहत आप जैसे ही संक्रमित होते हैं और इलाज शुरू करते हैं तो अपनी बीमा कंपनी को इस बारे में सूचित करें कि आप किस तरह का इलाज कर रहे हैं. यह बिल्कुल नहीं भूले कि आपके पास RT-PCR रिपोर्ट, पैन कार्ड, आधार कार्ड और मेडिकल कार्ड एडमिशन के दौरान होना चाहिए. इससे आपकी कंपनी को स्थिति का विश्लेषण करने और क्लेम का निपटारा करने में आसानी होगी.
अस्पताल में भर्ती होने के केस में, जरूरी है कि आप सभी प्री और पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन के खर्च, रिकॉर्ड जिनमें एंबुलेंस चार्ज, ट्रीटमेंट खर्च आदि भी हों ताकि किसी भी कारण से क्लेम रिजेक्ट न हो. आमतौर पर, इंश्योरेंस कंपनी COVID अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्री-ऑथराइजेशन की मांग करते हैं.
इन कागजों में अस्पताल में भर्ती होने के दिनों की संख्या और आईसीयू (अगर उपलब्ध हो) शामिल होना चाहिए. यदि आप एक गैर-नेटवर्क अस्पताल में इलाज करवाते हैं और यदि यह एक पहले नेटवर्क में शामिल अस्पताल था, तो आप कैशलेस इलाज करवा सकते हैं. आमतौर पर इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम सेटल होने में 15-20 दिन का समय लेती हैं. किसी भी नतीजे और रिजेक्शन से बचने के लिए हमेशा नेटवर्क अस्पताल जाने की सलाह दी जाती है.
इसके बावजूद अगर आपका क्लेम रिजेक्ट हो जाता है या क्लेम सेटलमेंट की राशि बहुत कम दी जाती है, तो आप निवारण तंत्र का उपयोग कर सकते हैं. कंपनी को आपकी शिकायत पर 15 दिनों के अंदर कार्रवाई करनी होती है. अगर वो ऐसा करने में असक्षम होते हैं तो आप इसकी शिकायत सीधे IRDA से कर सकते हैं. जहां क्लेम सेटलमेंट ज्यादा तेजी से होते हैं. इसका मकसद क्लेम की प्रक्रिया को आसान बनाना है, खासकर तब जब आपने कोरोना को मात दी है.
(लेखक eExpedise Healthcare के फाउंडर और CEO हैं)