आयुष्मान कार्ड से देश भर में करीब 2 करोड़ लोगों को मिला लाभ, ये हैं कुछ उदाहरण

इससे न सिर्फ गरीब को भी अमीर की तरह इलाज का हक मिला, बल्कि आर्थिक तौर पर फायदा मिलने से वह सशक्त भी हुआ है.

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कम आय वाले नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एक नया वरदान बन कर आई है.

कम आय वाले नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एक नया वरदान बन कर आई है.

हरियाणा के महेन्द्रगड़ के मोहनलाल लखेरा अब फिर रंग-बिरंगी चूड़ियां बेच सकेंगे और अपने परिवार के जीवन में खुशियों का रंग भर सकेंगे. 66 वर्षीय लखेरा के दिल में अचानक दर्द उठा जिसके बाद उन्हें डॉक्टरों ने स्टेंट लगाने की सलाह दी थी. चूड़ी बेचकर महज 3 हजार महीने पर कमाने वाले लखेरा के लिए सहारा बना आयुष्मान कार्ड. लखेरा कहते हैं कि, मैं बहुत गरीबी में रहा हूं, चुड़ियां बेच कर पेट भरता था अपना और परिवार का, एक दिन सीने में दर्द हुआ तो डॉक्टर को दिखाया. डॉक्टर बोला कि स्टेंट लगाना पड़ेगा. कई अस्पतालों से नीरस लौटना पड़ा, फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में आया. मेरे पास पैसे नहीं थे, मैंने सुना था कि इस बीमारी में दो ढाई लाख रुपये लगते हैं. किसी ने बताया कि अगर आयुष्मान कार्ड है तो मेरा इलाज हो सकता है. कार्ड मेरे पास पहले से था. मैं अस्पताल में कार्ड लेकर आया और फिर मेरा इलाज शुरू होगया. अभी मैं स्वस्थ हूँ.

देश भर में 2 करोड़ लोगों ने लिया इस योजना के लाभ

ऐसी ही कहानी है बिहार के रहने वाले नथुनी राम की. गार्ड की नौकरी करने वाले नथुनी राम के फिसलकर गिरने से कूल्हे में चोट आ गई. महीने में 9 हजार कमाकर 5 लोगों के परिवारों का पेट भरने वाले नथुनी राम के सिर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. ऐसे समय में उनका सहारा बना आयुष्मान कार्ड. ये सिर्फ कुछ लोगों की कहानी नहीं है बल्कि देशभर में लगभग 2 करोड़ से अधिक लोगों का इलाज आयुषमन कार्ड से हुआ है. लोगों को आयुष्मान योजना से जोड़ने के लिए आयुष्मान मित्र भी हैं, जो इससे संबंधित किसी भी तरह की परेशानी का समाधान देने के लिए नियुक्त किए गए हैं. आयुष्मान मित्र को न सिर्फ रोजगार मिला बल्कि मरीजों की सेवा करने का मौका भी उनके हाथ आया.

अब गरीब निजी अस्पतालों में भी ले रहे हैं इलाज

कम आय वाले नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एक नया वरदान बन कर आई है. इससे न सिर्फ गरीब को भी अमीर की तरह इलाज का हक मिला बल्कि आर्थिक तौर पर फायदा मिलने से वह सशक्त भी हुआ है. 2 करोड़ से अधिक लोगों ने इस योजना के तहत इलाज लिया है, जिसमें से 52% मरीजों का इलाज प्राइवेट अस्पताल में हुआ है. जहां वो पहले इन निजी अस्पतालों के गेट तक भी नहीं पहुंच पाते थे. आपको बता दें, यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है. जिसके तहत 55 करोड़ लोगों को 5 लाख तक सालाना इलाज मिलता है. इससे गरीब आदमी को अच्छी से अच्छी जगह पर इलाज कराने का हक भी मिला.

आयुष्मान ने गरीब-अमीर को किया बराबर

पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं कि मैं प्रार्थना करूंगा कि मेरे देश में किसी नागरिक पर ऐसी मुसीबत न आए की उसे इस योजना के लिए अस्पताल जाना पड़े, लेकिन अगर जाना ही पड़ा तो आयुष्मान भारत आपके कदमों में रखा हुआ है. देश के धनी आदमी जहां इलाज कराते हैं, वहीं अब मेरे देश के गरीब आदमी भी इलाज करवा सकेंगे. दरअसल यह सब मुमकिन हुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरीबों के प्रति सवेदनशीलता, दूरदर्शिता और सेवा संकल्प की भवना से. पीएम के सपने में एक स्वस्थ भारत की तस्वीर शामिल है. जिसकी बुनियाद हम उनके सार्वजनिक जीवन के आरंभिक वर्षों में देख सकते हैं.

राजनीति में आने पहले ही थे जन सेवक

राजनीति में आने से पहले ही पीएम मोदी जनसेवा करते रहते थे. लेकिन लोकसेवाक के रूप में वो तब सबके सामने आए जब 2001 में वो गुजरात के मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने गरीबों के लिए मुख्यमंत्री अमृत योजना की शुरूआत की. मुफ्त इलाज के साथ इस योजना में गरीबों का डेटा बेस भी तैयार किया गया और डिजिटल हेल्थ की अवधारणा यहीं से शुरू हुई. पीएम मोदी देश के अंतिम जन की पीड़ा का महसूस करते हैं. इस जन नायक ने प्रधानमंत्री के तौर पर आम आमड़ी के सर दवाइयों का बोझ कम करने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि योजन शुरू की. सेवा और रोजगार का माध्यम बनकर यह योजना देशभर में लोगों को सस्ती दवाइयाँ उपलब्ध करवा रही है.

कोरोना महामारी के समय ई-संजीवनी बनी वरदान

कोरोना महामारी के समय जब सभी को अपने घर में रहना पड़ा और भयानक बीमारियों के चलते लोग परेशान हो रहे थे तब प्रधानमंत्री ने देशवासियों के लिए ई-संजीवनी का उपहार लाये. इस पहल के माध्यम से लोग घर बैठे ही स्वस्थ संबंधी सलाह ले सकते थे. राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा, ई-संजीवनी ने इसी मंगलवार को 1.2 करोड़ (120 लाख) परामर्श पूरे कर लिए हैं. इसके साथ ही राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा से रोजाना 90,000 मरीज लाभ ले रहे हैं. वर्तमान में, यह राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा 31 राज्यों/ केन्द्र – शासित प्रदेशों में काम कर रही है.

दो मोड में चलती है ई-संजीवनी

उल्लेखनीय है कि ई-संजीवनी सेवा से लोग घर बैठे तमाम बीमारियों के चिकित्सकों से निःशुल्क परामर्श ले रहे हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी दो मोड के माध्यम से परिचालित होती है. एक डॉक्टर टू डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म और दूसरी ई-संजीवनी ओपीडी जो रोगी से डॉक्टर के लिए आयोजित की जाती है.

Published - September 22, 2021, 05:02 IST