एंडोवमेंट पॉलिसी में निवेश से पहले जान लीजिए ये 9 बातें

निवेश करने से पहले आपको यह जानना होगा कि ये काम कैसे करती हैं. Endowment Plans में निवेश करने से पहले आपको ये 9 बातें जाननी चाहिए.

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सम इंश्योर्ड में कोई मौद्रिक लाभ नहीं मिलता, केवल हानि/क्षति राशि की प्रतिपूर्ति होती है वहीं सम एश्योर्ड मंस मौद्रिक लाभ का भुगतान बीमित व्यक्ति या नोमिनी को किया जाता है.

सम इंश्योर्ड में कोई मौद्रिक लाभ नहीं मिलता, केवल हानि/क्षति राशि की प्रतिपूर्ति होती है वहीं सम एश्योर्ड मंस मौद्रिक लाभ का भुगतान बीमित व्यक्ति या नोमिनी को किया जाता है.

एंडोवमेंट योजनाओं (Endowment Plans) पर इनकम टैक्स एक्ट 80C के तहत 1.5 लाख रुपये की सीमा तक टैक्स बेनिफिट मिलता है. ये योजनाएं आपको इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट का एक कॉम्बिशन प्रदान करती हैं, जहां बीमा राशि का भुगतान पॉलिसी के खत्म होने पर बोनस के साथ किया जाता है. हालांकि ये योजनाएं (Endowment Plans) सरल दिखती हैं, लेकिन इनमें निवेश करने से पहले आपको यह जानना होगा कि ये काम कैसे करती हैं. एंडोमेंट प्लान (Endowment Plans) में निवेश करने से पहले आपको ये 9 बातें जाननी चाहिए:

गोल बेस्ड इन्वेस्टमेंट

एंडोवमेंट पॉलिसी लाइफ इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट का एक कॉम्बिनेशन है, जहां आपके पैसे का एक हिस्सा डेथ कवर के लिए एलोकेट किया जाता है और बाकी आपके कैपिटल को बढ़ाने के लिए इन्वेस्ट किया जाता है. आपको 12 साल, 15 साल और 18 साल की अवधि के लिए नियमित प्रीमियम का भुगतान करना होगा.

ये पॉलिसियां लाइफ कवर के साथ नियमित रूप से सेविंग करने की छूट भी देती हैं जो पॉलिसी होल्डर के लॉन्ग टर्म गोल को पूरा करने में मदद करती है. इनमें निवेश करने से पहले हर तरह के एंडोमेंट प्लान को समझें, चाहे वो मनी-बैक हो, होल लाइफ या किसी दूसरे का प्लान. मनी बैक प्लान में एक निश्चित समय के बाद बोनस के रूप में एक नियमित राशि का भुगतान किया जाता है और यह कंजरवेटिव इन्वेस्टर्स के लिए परफेक्ट है. होल लाइफ प्लान का इस्तेमाल ज्यादातर एस्टेट प्लानिंग के लिए किया जाता है जहां पॉलिसी होल्डर की मौत के बाद नॉमिनी को पूरी राशि का भुगतान किया जाता है.

बोनस

एंडोवमेंट प्लान इंश्योरेंस कंपनी के इन्वेस्टमेंट प्रॉफिट में भी भाग लेते हैं. बोनस पेमेंट के रूप में प्रॉफिट पॉलिसी होल्डर के साथ शेयर किया जाता है. बोनस को बीमित राशि के प्रतिशत के रूप में डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है और आम तौर पर ये हर फाइनेंशियल ईयर के अंत में एनाउंस(घोषित) किया जाता है. दूसरी ओर, नॉन पार्टिसिपेटिंग प्लान जैसे टर्म प्लान इंश्योरेंस कंपनी के मुनाफे में हिस्सा नहीं लेते हैं.

रिटर्न

ट्रेडिशनल प्लान जीवन बीमा खरीदने का सबसे सस्ता विकल्प नहीं हैं. ऐसी पॉलिसियों में रिटर्न आम तौर पर 5 से 7% के बीच होता है. महंगाई की उच्च दर को देखते हुए, यह उन कंजरवेटिव इन्वेस्टर्स के लिए सही हैं जो रिटर्न से ज्यादा अपनी पूंजी की सुरक्षा चाहते हैं. दूसरी ओर यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान आपको इक्विटी में निवेश करने का मौका देते हैं, जो लंबी अवधि में अधिक रिटर्न देते हैं.

नॉन-ट्रांसपेरेंट

यूलिप के विपरीत एंडोमेंट प्लान आपको कॉस्ट स्ट्रक्चर नहीं देते हैं. खर्चों की कटौती के लिए उनके पास अपर कैपिंग भी नहीं है. यह एंडोमेंट को नॉन-ट्रांसपेरेंट बनाता है क्योंकि आपको इस बात की जानकारी नहीं होती है कि खर्चों के लिए कितना पैसा काटा जाता है. दूसरी ओर, यूलिप अब पारदर्शी हो गए हैं, क्योंकि 10 साल तक की अवधि वाली पॉलिसियों के लिए यूलिप शुल्क ग्रॉस ईल्ड के 3% और 10 साल से अधिक की अवधि के लिए 2.25% तक सीमित हैं. इसके अलावा, यूलिप शुल्कों को मोटे तौर पर इन चार भागों में वर्गीकृत किया जाता है- आवंटन शुल्क (एलोकेट चार्ज), फंड प्रबंधन शुल्क( फंड मैनेजमेंट चार्ज), नीति प्रशासन शुल्क(पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज) और मृत्यु शुल्क ( मोर्टेलिटी चार्ज)

हाई सरेंडर चार्ज

एंडोवमेंट पॉलिसियां लंबी अवधि की होती हैं, जहां आप कम से कम 5-10 वर्षों की अवधि के लिए भुगतान करते हैं. यदि आप पॉलिसी को बीच में ही सरेंडर कर देते हैं, तो आपको शायद अपने निवेश का एक बहुत छोटा हिस्सा मिल पाएगा क्योंकि सरेंडर वैल्यू आम तौर पर अब तक भुगतान किए गए कुल प्रीमियम का लगभग 30% -40% है. इसके अलावा, पॉलिसी को सरेंडर करने पर आप पॉलिसी से जुड़े लाइफ कवर को तुरंत खो देते हैं.

टैक्सेबिलिटी

एंडोवमेंट प्लान आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की सीमा के अंदर कटौती के लिए एलिजिबल हैं. इसके अलावा, एंडोमेंट योजनाओं में मेच्योरिटी अमाउंट पूरी तरह से टैक्स फ्री है, ये फायदा यूलिप में नहीं मिलता है. यूलिप के तहत, यदि सालाना प्रीमियम 2.50 लाख रुपये से अधिक है, तो मेच्योरिटी अमाउंट पर टैक्स लगेगा.

पेड-अप पॉलिसी

अगर आपके पास कैश की कमी हैं तो आप इसे पेड-अप पॉलिसी में बदल सकते हैं. इसमें, बीमा कंपनी पूरी बीमा राशि का भुगतान करने के लिए लायबिल नहीं है, और पॉलिसी मैच्योर होने पर या पॉलिसीधारक की मृत्यु पर कम अमाउंट का भुगतान किया जाता है. आमतौर पर, पेड-अप मैच्योरिटी वैल्यू सरेंडर वैल्यू से ज्यादा होती है.

एक लेप्सड पॉलिसी (lapsed policy) को एक पेड-अप पॉलिसी बनाया जा सकता है, जहां पहले से भुगतान किए गए प्रीमियम की संख्या के आधार पर बीमा राशि को घटाकर एक राशि कर दी जाती है.
पेड-अप वैल्यू: [(भुगतान किए गए प्रीमियम की संख्या ÷ कुल देय प्रीमियम) × बीमित राशि] + बोनस

इन्वेस्टमेंट

पॉलिसीधारकों द्वारा भुगतान किया गया प्रीमियम जीवन निधि में जमा हो जाता है. इस फंड में पड़ा पैसा गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में और थोड़ा पैसा इक्विटी में निवेश किया जाता है. इस फंड का इस्तेमाल क्लेम का भुगतान करने के लिए भी किया जाता है. क्लेम और रिटर्न के आधार पर, बीमाकर्ता अपने सरप्लस के एक हिस्से को बोनस के रूप में वितरित करता है. पॉलिसी होल्डर को प्रॉफिट का 90% बोनस के रूप में प्राप्त होता है और शेष 10% सरप्लस शेयरहोल्डर्स के लिए रखा जाता है.

लोन सुविधा

जरूरत पड़ने पर एंडोमेंट पॉलिसियों को बिना गिरवी (collateral) रखे इन पर पर लोन भी लिया जा सकता है.

Published - July 15, 2021, 05:10 IST