देश की इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इंडस्ट्री एक साथ दो बदलाव ला सकती है. पहला, यह सड़कों पर यातायात के तरीके और जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उनमें क्लीन टेक्नॉलजी की मदद से बड़े बदलाव ला सकती है. दूसरा, यह ऐसा माहौल बना सकती है जहां बदलाव लाने की कमान महिलाओं के हाथ में होगी.
इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री में महिला कर्मियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वे ऊंचे पदों पर जिम्मेदारियां संभाल रही हैं. महिंद्रा इलेक्ट्रिक, कायनेटिक ग्रीन, कंवर्जेंस एनर्जी सॉल्यूशंस, इवोलेट, एसमिटो कुछ ऐसी कंपनियां हैं जहां महिलाएं टीम लीड कर रही हैं. कायनेटिक ग्रीन ई-ऑटो, ई-बग्गी और कार्गो वाहनों का उत्पादन करती है. वहीं, महिंद्रा इलेक्ट्रिक M&M ग्रुप के लिए EV पॉलिसी तैयार करती है.
इवोलेट इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाती है. कंवर्जेंस गैर-पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र की कंपनी है और फिलहाल कई राज्यों में सार्वजनिक परिवहन को इलेक्ट्रिक रूप देने पर जोर दे रही है. यह ग्रिड-स्केल स्टोरेज बैटरी भी बना रही है.
यह बड़ी उपलब्धि होगी अगर देश के इलेक्ट्रिक ट्रांसफोर्मेशन को ज्यादा से ज्यादा महिलाएं आगे लेकर बढ़ें. दुख की बात है कि मैनेजमेंट के मामले में आगे होने और इंटरपर्सनल रिलेशन बनाने में बेहतर होने के बावजूद आज भी महिलाओं को वर्कप्लेस में पुरुषों से निचले पदों पर रखा जाता है.
ऑटोमोबाइल कंपनी को संभालना बेहद जटिल काम होता है. इसमें स्ट्रैटेजी बनाने और मार्केटिंग के मोर्चे पर उच्च स्तरीय कुशलता चाहिए होती है. इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा कड़ी है और दर्जनों वेंडर्स के साथ काम करना होता है. इन सबके बीच 2020 में 37.52 अरब डॉलर की कमाई करने वाली जनरल मोटर्स जैसी बड़ी कंपनी की कमान पिछले आठ साल से मैरी बारा के हाथों में है.
भारतीय महिलाएं भी किसी मोर्चे पर हल्की नहीं पड़ती हैं. वे FMCG कंपनियां, बड़े बैंक, स्टॉक एक्सचेंज, बायोटेक्नॉलजी फर्म, मैन्युफैक्चरिंग की कंपनियां, एंटरटेनमेंट कंपनियां, स्टील की बड़ी फर्में और फार्मा सेक्टर की कंपनियों को संभाल रही हैं. इसी तरह वे इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर की कंपनियों को भी पूरी कुशलता के साथ संभालने का दम रखती हैं. आज जिस तरह इंडस्ट्री में इनकी भूमिका बड़ा होती जा रही है, आने वाली पीढ़ियां साफ हवा के लिए महिलाओं के योगदान को याद करेंगी.
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