Women Participation: भारत अपने समग्र कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को अंतरराष्ट्रीय मानकों के बराबर लाने और उनके योगदान को पूरी तरह से हासिल करने के तरीकों में जल्द ही बदलाव कर सकता है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2020 में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (ministry of statistics and programme implementation) द्वारा गठित आर्थिक सांख्यिकी पर 28 सदस्यीय स्थायी समिति, आवधिक श्रम बल सर्वे (Periodic Labour Force) के लिए उपयोग की जाने वाली प्रश्नावली के सुधार पर विचार कर रही है.
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक विशेषज्ञ ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि महिला भागीदारी दर को लेकर कुछ सुधार की जरूरत है. जिसे लेकर प्रश्नावली को और अधिक व्यापक बनाने की जरूरत है.
यह महसूस किया गया है कि कार्यबल की भागीदारी पर मौजूदा प्रश्नों का सेट अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ तुलनीय नहीं है.
आर्थिक गतिविधि को देखते हुए अधिक विस्तृत अनुवर्ती प्रश्नों ( follow-up) की आवश्यकता है, क्योंकि आर्थिक गतिविधि और घरेलू काम के बीच स्पष्ट अंतर नहीं है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में और बेहतर बदलाव की जरूरत है.
विश्व बैंक के अनुमानों से पता चलता है कि भारत में दुनिया में सबसे कम महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर है, जिसमें एक तिहाई से भी कम महिलाएं हैं.
विश्व बैंक ने 2019 में भारत में महिला श्रम भागीदारी दर 20.3 फीसद होने का अनुमान लगाया था, जो 2005 में 26 फीसद से अधिक थी. यह बांग्लादेश में 30.5 फीसद और श्रीलंका में 33.7 फीसद की तुलना में बहुत कम है.
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आवधिक श्रम बल सर्वे में 2017-18 में भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर 17.5 फीसदी 2018-19 में 18.6 फीसदी और 2019-20 में 22.8 फीसदी होने का अनुमान लगाया गया था.
हालांकि, शहरी भारत में महिला श्रम भागीदारी दर अप्रैल से जून 2020 में गिरकर 15.5 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई थी, जो लॉकडाउन की पहली तिमाही थी.
इसके बाद जुलाई-सितंबर 2020 तिमाही के दौरान भागीदारी दर मामूली सुधार के साथ 16.1 फीसदी हो गया और अक्टूबर दिसंबर तिमाही में महिला श्रम भागीदारी दर 20.6 फीसदी हो गई थी.
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