pixabay: कच्चे तेल की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में 96 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है. ब्रेंट क्रूड (brent crude) 2018 के बाद पहली बार लंदन में 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चढ़ गया, जिससे वैश्विक ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी देखी है.
होलसेल प्राइस इंफ्लेशन (Wholesale Price Inflation – WPI) सितंबर में घटकर 10.66 प्रतिशत पर आ गया. कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के बावजूद खाद्य पदार्थों के दाम घटने से ऐसा हुआ. WPI लगातार छठे महीने में दहाई अंकों में रहा. अगस्त में यह 11.39 प्रतिशत था. सितंबर 2020 में WPI 1.32 फीसदी था.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा, ‘मिनरल ऑयल, बेसिक मेटल, नॉन-फूड आर्टिकल, फूड प्रॉडक्ट्स, क्रूड पेट्रोलियम और नैचुरल गैस, केमिकल और केमिकल प्रॉडक्ट आदि के दाम बढ़ने के कारण बीते साल की तुलना में इस बार के सितंबर में महंगाई दर ऊंची रही.’
खाद्य सामग्रियों का इंफ्लेशन लगातार पांचवें महीने घटा है. यह अगस्त के (-)1.29 प्रतिशत से घटकर (-)4.69 फीसदी पर आ गया. ऐसा खासतौर पर सब्जियों के दाम घटने की वजह से हुआ. दाल के दाम 9.42 प्रतिशत के साथ बढ़त दर्ज करते दिखे.
फ्यूल और पावर बास्केट की महंगाई दर सितंबर में 24.91 प्रतिशत पर रही, जो अगस्त में 26.09 फीसदी रही. क्रूड पेट्रोलियम और नैचुरल गैस के दाम सितंबर में 43.92 प्रतिशत बढ़त के साथ दिखे, जो अगस्त में 40.03 फीसदी रही.
मैन्युफैक्चर्ड प्रॉडक्ट्स का इंफ्लेशन सितंबर में 11.41 पर्सेंट पर रहा.