जापान दुनिया तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के पायदान से खिसक कर अब चौथे स्थान पर आ गया है. अब जर्मनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है. बीती दो तिमाहियों से जापान की GDP में गिरावट देखी जी रही है. जापान की उम्रदराज आबादी और बच्चों के कम जन्म के कारण जनसंख्या में युवा आबादी की संख्या कम हो गई है. भारत अभी भी दुनिया की पांच बड़ी अर्थवस्वस्थाओं में शुमार है.
इससे पहले चीन ने पछाड़ा
इससे पहले जापान दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हुआ करता था. लेकिन चीन ने 2010 में जापान से अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का तमगा छीन लिया था. तब जापान फिसलकर तीसरे स्थान पर आ गया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 में जापान जर्मनी की अर्थव्यवस्था के आकार से पीछे रह गया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी जापान के चौथे स्थान पर आने का अनुमान लगाया था.
0.4% की वार्षिक दर से सिकुड़ी अर्थव्यवस्था
जापान की वास्तविक जीडीपी पिछले साल कुल 4500 अरब अमेरिकी डॉलर या लगभग 591000 अरब येन थी. वास्तविक जीडीपी पर कैबिनेट कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जापानी अर्थव्यवस्था 0.4 फीसद की वार्षिक दर से सिकुड़ गई है. 2023 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद पिछले वर्ष की तुलना में 1.9 फीसद बढ़ा है.
कमजोर येन बना नुकसान की वजह
जापान और जर्मनी दोनों ने छोटे तथा मझोले आकार के व्यवसायों के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया है. जापान के विपरीत जर्मनी ने मजबूत यूरो और मंहगाई से निपटने के लिए ठोस आर्थिक कदम उठाए. कमजोर येन भी जापान के लिए नुकसान की वजह बना.
टोक्यो विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर तेत्सुजी ओकाजाकी ने कहा कि नवीनतम आंकड़े कमजोर होते जापान की वास्तविकताओं को दर्शाते हैं. इससे दुनिया में जापान की उपस्थिति कम होने की संभावना है.
उन्होंने कहा, ‘‘ मिसाल के तौर पर कई साल पहले जापान एक शक्तिशाली मोटर वाहन क्षेत्र होने का दावा करता था, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों के आगमन के साथ वह प्रॉफिट भी प्रभावित हुआ.’’
विकसित देशो और उभरते देशों के बीच कम अंतर
ओकाजाकी ने कहा कि विकसित देशों और उभरते देशों के बीच अंतर कम हो रहा है. कुछ वर्षों में भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में जापान से आगे निकलना निश्चित है.