कोरोना महामारी के बीच कमजोर इकोनॉमी ने फॉर्मल सेक्टर में भारतीय महिलाओं का रोजगार बूस्ट किया है. यूनाइटेड नेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP), फिक्की और जापान सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के 150-150 सीईओ से बातचीत के बाद सर्वे रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया है कि महामारी के चलते इकोनॉमी को काफी नुकसान हुआ है लेकिन नई तकनीकों का इस्तेमाल होने से महिलाओं के लिए रोजगार भी बढ़ा है.
रिपोर्ट के अनुसार 57% सीईओ इस बात से सहमत हैं कि कमजोरी इकॉनमी ने महिलाओं के रोजगार को विस्तार दिया है क्योंकि यह लचीली, अस्थायी या स्वतंत्र नौकरियों पर आधारित है, जिसमें अक्सर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से ग्राहकों से जुड़ना शामिल होता है. इसमें वर्क फ्रॉम होम भी एक बड़ी भूमिका निभा रहा है.
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग में वृद्धि और बिक्री व वितरण के लिए वर्चुअल वर्किंग के बढ़ने से महिलाओं को और अवसर प्राप्त हुए हैं. यह भी पता चला है कि कुछ प्रमुख क्षेत्रों में महिलाओं के रोजगार में वृद्धि की संभावना है. स्वास्थ्य और फार्मास्यूटिकल्स (59%), इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स (44%) और फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स में करीब 41% तक महिलाओं का रोजगार बढ़ सकता है. साथ ही नई तकनीक को अपनाने के कारण वित्त और लेखा विभागों में महिलाओं के रोजगार में मामूली बदलाव हो सकता है.
फिक्की के जनरल सेक्रेटरी दिलीप चेनॉय ने कहा, हमें खुशी है कि हमें उद्योग से बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली हैं. 30 से अधिक सेक्टर के CEO व CXO ने वास्तविक प्रतिक्रिया और टिप्पणियां साझा कीं. साथ ही कहा कि हम इस काम को आगे बढ़ाने और भारत में भविष्य के लिए तैयार महिला कार्यबल के लिए एक सफल करियर का स्पष्ट रोड मैप तैयार करने की योजना में भी हैं.
रिपोर्ट में बताया है कि 73 फीसदी सीईओ ने री स्किलिंग खासतौर पर फॉर्मल सेक्टर में अहम भूमिका निभाने पर सहमति जताई है. इनमें से 83 फीसदी ने यह भी संकेत दिया कि भारत में रोजगार को लेकर अधिक महिलाओं को शामिल करने के लिए री-स्किलिंग महत्वपूर्ण होगी. उदाहरण के लिए, असेंबली लाइन पर काम करने वाली महिलाओं के लिए कंप्यूटर प्रोग्रामिंग कौशल प्रदान करने से उन्हें आधुनिक तकनीक के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिल सकती है.
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