भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि दुनिभार में कोरोना महामारी के बाद असमान तरीके से रिकवरी हुई है. इस कारण समावेश (inclusion) पर असर पड़ा है. उन्होंने यह भी कहा कि यह एक तरह का ‘क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन’ है. इससे प्रॉडक्टिविटी और डिवेलपमेंट में सुधार के लिए नए रास्ते खुलेंगे.
महामारी के कारण डिजिटल और ऑटोमोटिव के मोर्चे पर जो ट्रांजिशन हुए हैं, इससे उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, इनक्लूसिवनेस में दिक्कतें बढ़ेंगी. लेबर मार्केट में कुछ समय के लिए सन्नाटा पसरा रह सकता है.
कुशलता बढ़ानी की जरूरत
दास का कहना है कि ऐसे में वर्कफोर्स की कुशलता बढ़ाने की जरूरत है. किसी तरह का ‘डिजिटल डिवाइड’ होने पर उस अंतर को जल्द से जल्द खत्म करने पर जोर होना चाहिए. महामारी के बाद डिजिटाइजेशन की रफ्तार बढ़ेगी.
स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, कम्युनिकेशन, लो-कार्बन और डिजिटल इकॉनमी जैसे सेक्टरों को इन्वेस्टमेंट पुश की जरूरत है. कृषि और हॉल्टिकल्चर के क्षेत्रों में उत्पादकता और वैल्यू एडिशन को आगे बढ़ाने के लिए वेयरहाउसिंग और सप्लाई चेन इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरी हैं.
दास ने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के 48वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इससे छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में रोजगार के मौके बढ़ेंगे. सबका एक साथ विकास होगा.
भारत की उत्पादन क्षमता
उन्होंने कहा, ‘महामारी ने इन सेगमेंट्स को जो चोट पहुंचाई है, वह इनक्लूसिव ग्रोथ के लिहाज से बेहद गंभीर है. मीडियम से लॉन्ग टर्म में कार्य कुशलता और बराबरी, दोनों मायने रखेंगे.’
दास का कहना है कि महामारी ने यह एहसास दिलाया है कि उत्पादन के क्षेत्र में भारत कितनी ऊंचाइयों तक जा सकता है. फार्मास्युटिकल सेक्टर के इतिहास में पहली बार सालभर के अंदर वैक्सीन को तैयार करने और लोगों तक पहुंचाने का काम हुआ है. वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग में भारत सबसे आगे है.