केंद्र सरकार के पास टैक्स, फीस, सेस और सरचार्ज के रूप में कई तरह के शुल्कों के जरिए पैसा जुटाने का अधिकार है. जब टैक्सेशन की बात आती है, तो यह इतना उलझा दिखाई देता है कि टैक्सेशन को समझना मुश्किल हो जाता है. आइए आसान भाषा में समझते हैं कि सेस (Cess) और सरचार्ज में क्या अंतर है.
टैक्स अमाउंट पर सेस लगाया जाता है और ये एक स्पेसिफिक पर्पज के लिए लगाया जाता है. उदाहरण के लिए, कलेक्ट किए गए एजुकेशन सेस का इस्तेमाल केवल एजुकेशन पर्पज के लिए किया जाता है.
फिंटू के फाउंडर मनीष हिंगर ने कहा, “भारत में, सेस सभी टेक्सपेयर पर लागू होता है, और इसकी गणना टैक्सपेयर की बेस टैक्स लायबिलिटी के ऊपर की जाती है, सेस टैक्स शुरू में CFI (कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया) में जाएगा जिसका इस्तेमाल उस पर्पज के लिए किया जाएगा जिसके लिए इसे कलेक्ट किया गया था, इस टैक्स का रेट 4% है”
सरचार्ज पेयबिल टैक्स पर लगाया जाता है टोटल इनकम पर नहीं. यह सीधे CFI के पास जाता है, और उसके बाद, इसे नॉर्मल टैक्स की तरह ही किसी भी पर्पज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. सरचार्ज उस टैक्सपेयर पर लागू होता है जिसकी इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है.
सरल शब्दों में सरचार्ज टैक्स पर एक टैक्स है जो किसी खास कारण से कलेक्ट नहीं किया जाता है, और केंद्र सरकार सरचार्ज के तौर पर कलेक्ट किए पैसे का इस्तेमाल किसी भी पर्पज के लिए कर सकती है जिसे वो जरूरी समझती है.
इनकम टैक्स के तहत सेस का रेट 4% फिक्स्ड है, जबकि सरचार्ज का रेट टैक्सपेयर की टोटल इनकम के आधार पर 10%, 15%, 25% और 37% होता है.
-सेस टोटल टैक्स पर और सरचार्ज अमाउंट पर कैलकुलेट किया जाता है; हालांकि, टोटल टैक्स अमाउंट पर इसकी कैलकुलेशन की जाती है.
-शॉर्ट में, जबकि दोनों टैक्स हैं, एक स्पेसिफिक पर्पज को पूरा करने के लिए हर टैक्सपेयर से सेस कलेक्ट किया जाता है, और सरचार्ज एक एडिशनल टैक्स है जो हाई स्लैब इनकम वाले टैक्सपेयर से कलेक्ट किया जाता है.
-इसके अलावा, दोनों में एक मुख्य अंतर यह है कि प्रत्येक को राज्य सरकार के साथ शेयर किया जा सकता है, सरचार्ज CFI में रखा जा सकता है, और इसका इस्तेमाल अन्य टैक्स के लिए किया जा सकता है, लेकिन सेस का इस्तेमाल किसी विशेष कारण से किया जाता है.
टैक्स2विन डॉट इन के को-फाउंडर और CEO अभिषेक सोनी ने कहा, “सरचार्ज भी एक टैक्स है जो टैक्स अमाउंट पर लागू होता है. सरचार्ज के पीछे ऑब्जेक्टिव हाई इनकम वाले लोगों पर हाई टैक्स का बोझ डालना है, सेस सभी टैक्सपेयर पर लागू होता है, जबकि सरचार्ज केवल तभी लागू होता है जब टोटल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा हो.”
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