प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बीते महीनों हुई कैबिनेट बैठक में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग (Mobile Manufacturing) क्षेत्र में आए निवेश और सुधार का ब्यौरा दिया था.
प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव स्कीम के बारे में बताते हुए दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि आत्मनिर्भर भारत की योजना में भारत मैन्यूफैक्चरिंग का एक हब बनाने की कोशिश की जा रही है. भारत में इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग को काफी प्रमोट किया गया है. उन्होंने कहा कि साल 2014 में मोबाइल फोन निर्माण (Mobile Manufacturing) में सिर्फ दो कंपनिया हुआ करती थी. अब करीब 260 कंपनियां भारत में मोबाइल फोन का निर्माण कर रही है.
इसी के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग देश बन गया है. उन्होंने कहा कि इसी क्रम मे प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव का कार्यक्रम शुरू किया गया है. इसका तात्पर्य है कि पहले उद्योग लगाओ, मैन्यूफैक्चरिंग शुरू करो, एक्सपोर्ट करो, रोजगार पैदा करो और इंसेंटिव लो. इसे मोबाइल कम्पोनेंट के क्षेत्र में शुरू किया गया है. उसके बाद बाकी 12 एजेंडा आज चुने गए हैं.
उन्होंने कहा कि एक बड़ी बात यह भी हुई है कि देश की क्षमता और प्रतिभा बढ़ी है. मोबाइल लिंक इंसेंटिव PLI को अप्रैल 2020 में लॉन्च किया था, जबकि उस समय कोरोना अपनी चरम गति पर था. आवेदन करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई थी. इसके बावजूद दुनिया की टॉप कंपनियां और भारत की कंपनियां आगे आईं. इस अवधि में इन कंपनियों ने 10 लाख करोड़ रुपए के मोबाइल फोन बनाने का दावा किया है. कंपनियों द्वारा साथ ही लगभग 8 लाख लोगों को डायरेक्ट-इनडायरेक्ट रोजगार देने की बात भी कही गई है.
मोबाइल क्षेत्र में हुआ 34 हजार करोड़ रुपए का निवेश
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आगे जोड़ते हुए कहा कि भारत में मोबाइल क्षेत्र में 34 हजार करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट हो चुका है. दुनिया की टॉप बड़ी कंपनियां भारत में मोबाइल बना रही हैं और एक्सपोर्ट कर रही हैं. एक बड़ी कंपनी ने अभी तक 20 हजार लोगों को नौकरी दी है और अगले साल तक यह कंपनी 1 लाख को डायरेक्ट और तीन लाख को इन्डायरेक्ट नौकरी देंगे. पांच साल में यह कंपनी 40 बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन बनाएंगे.
उन्होंने बैठक में बताया कि भारत में करीब 50 हजार करोड़ रुपए के टेलीकॉम इक्विपमेंट का आयात होता है.
पांच साल में 2 लाख 44 हजार 200 करोड़ रुपए का इंक्रीमेंटल प्रोडक्शन
रविशंकर प्रसाद ने जोर देते हुए कहा कि आगामी पांच साल में भारत 2 लाख 44 हजार 200 करोड़ रुपए का इंक्रीमेंटल प्रोडक्शन करेगा. इस दौरान करीब 40 हजार लोगों को भी डायरेक्ट-इंडायरेक्ट रोजगार दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत के इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग (Electronic Manufacturing) की पूरी प्रक्रिया को ग्लोबल स्टैण्डर्ड तक पहुंचाने का लक्ष्य है.
कोरोना के बावजूद भारत में क्यों बढ़ रहा आकर्षण
रविशंकर प्रसाद के मुताबिक कोरोना के बावजूद भारत में आकर्षण इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि भारत ने ”ईज ऑफ डूइंग” बिजनेस को प्रोत्साहन दिया है और साथ ही भारत एक बड़ा बाजार है. इसके अलावा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को दुनिया में सराहा गया है.
(सौजन्य: प्रसार भारती न्यूज एजेंसी, टेलीग्राम से)
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