Telecom Sector: टेलीकॉम सेक्टर में केंद्र सरकार ने पांच संरचनात्मक सुधार करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं. सरकार के इन प्रयासों से एक ओर टेलीकॉम सेक्टर में 5जी में निवेश का मार्ग प्रशस्त हुआ है, तो दूसरी तरफ नए निवेश को आकर्षित करने में मदद मिली है. इसमें भी सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर को जो सौगात दी है उसका सरकार के खजाने पर कोई असर नहीं पड़ रहा है.
टेलीकॉम सेक्टर ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया
यह एक तथ्य है कि कोरोना की मार झेल रहे भारत में टेलीकॉम सेक्टर ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. डाटा खपत में भारी वृद्धि के दौरान ऑनलाइन शिक्षा का व्यापक प्रसार हुआ है.
सोशल मीडिया के माध्यम से आपसी संपर्क बढ़ा है और वर्चुअल बैठकों में वृद्धि हुई है. इसके साथ ही सतत सुधारात्मक उपाय ब्रॉडबैंड और टेलीकॉम कनेक्टिविटी के प्रसार के रूप में भी देखने में सामने आए हैं.
केंद्र द्वारा नौ ढांचागत सुधार, पांच प्रक्रिया सुधार और टेलीकॉम कंपनियों की पूंजी की तरलता सम्बन्धी आवश्यकताओं के लिए राहत उपाय की चर्चा की जाए, तो ढांचागत सुधारों में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) का युक्तिकरण सबसे ऊपर दिखाई देता है.
बैंक गारंटी (बीजी) को युक्तिसंगत बनाया गया है. लाइसेंस शुल्क और अन्य समान करारोपण के एवज में बैंक गारंटी आवश्यकताओं में 80 प्रतिशत तक कमी की गई है.
अब अनेक बैंक गारंटी की कोई आवश्यकता नहीं रही, इसके बजाए एक ही बैंक गारंटी पर्याप्त है. ब्याज दरों को युक्ति संगत बनाने के लिए दंड हटाने की प्रक्रिया को अपनाना, एक अक्टूबर, 2021 से, लाइसेंस शुल्क, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) के विलंबित भुगतान पर ब्याज की दर एसबीआई एमसीएलआर +चार प्रतिशत के बजाय एमसीएलआर+दो प्रतिशत करना , ब्याज को मासिक के बजाय सालाना करना, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को हटा देना, नीलामी में किश्त भुगतान को सुरक्षित करने के लिए किसी भी बैंक गारंटी की आवश्यकता को समाप्त करना, कुछ ऐसे निर्णय हैं, जिसने कि टेलीकॉम सेक्टर में आज ऊर्जा का संचार किया है.
स्पेक्ट्रम की अवधि 30 वर्ष
केंद्र सरकार ने नए नियमों से भविष्य की नीलामी में स्पेक्ट्रम की अवधि 20 से बढ़ाकर 30 वर्ष कर दी है. इसके साथ ही नीलामी में प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिए 10 वर्षों के बाद स्पेक्ट्रम के सरेंडर की अनुमति भी दे दी गई है.
अब भविष्य की नीलामी में प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिए कोई स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (SUC) नहीं लिया जा रहा है. साथ ही नए संदर्भों में स्पेक्ट्रम साझेदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है और स्पेक्ट्रम साझेदारी के लिए 0.5 प्रतिशत का अतिरिक्त एसयूसी हटा दिया गया है.
इतना ही नहीं तो नियमानुसार सभी सुरक्षा उपाय लागू करते हुए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए ही टेलीकॉम सेक्टर में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दे दी गई है.
केंद्र सरकार ने इसमें एक बड़ा सुधार यह भी किया है कि नीलामी कैलेंडर तैयार कर दिया है. आनेवाले दिनों में देखने को मिलेगा कि स्पेक्ट्रम नीलामी सामान्यतः प्रत्येक वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में आयोजित की जाएगी.
व्यापार सुगमता को बढ़ावा मिले इसके लिए केंद्र सरकार ने वायरलेस उपकरण के आयात के लिए 1953के कस्टम्स नोटिफिकेशन के अंतर्गत लाइसेंस की कठिन आवश्यकता को हटा दिया है.
केवाईसी सुधार में सेल्फ-केवाईसी की अनुमति दी है। ई-केवाईसी की दर को संशोधित कर केवल एक रुपया कर दिया गया है. प्री-पेड से पोस्ट-पेड और पोस्ट-पेड से प्री-पेड में स्थानांतरण के लिए नए केवाईसी की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया गया है.
ये हो रही तैयारी
इसी तरह से देखें तो नए कस्टमर बनाए जाने के समय भरे जाने वाले फॉर्म को डेटा के डिजिटल स्टोरेज से बदल देने की तैयारी की जा रही है, इससे टेलीकॉम कंपनियों के विभिन्न गोदामों में पड़े लगभग 300-400 करोड़ कागजी फॉर्म की आवश्यकता नहीं रहेगी.
टेलीकॉम टावरों की स्थापना के लिए दी जाने वाली मंजूरी की प्रक्रिया को सरल बना दिया है. दूरसंचार विभाग का पोर्टल अब सेल्फ-डिक्लेयरेशन के आधार पर आवेदन स्वीकार करेगा.
टेलीकॉम कंपनियों को विदेशों से टेलिकॉम इक्विपमेंट के इंपोर्ट में भी राहत दी गई है. 1953 के कस्टम कानून में संशोधन किया जा रहा है, जिसके कि कंपनियां आसानी से टेलिकॉम इक्विपमेंट विदेशों से आयात कर सके.
सरकार के इन निर्णयों का आज यदि असर देखें तो सबसे अधिक लाभ टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया को मिलने जा रहा है, जिसकी माली हालत सबसे खराब चल रही है.
वोडाफोन आइडिया पर अप्रैल जून तिमाही तक 1.92 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है. जिसमें स्पेक्ट्रम पेमेंट का 1.06 लाख करोड़ और एजीआर के रूप में 62,180 करोड़ रुपये का बकाया शामिल है.
इसके अलावा वोडाफोन आइडिया पर बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का भी 23,400 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है. इस समय वोडाफोन आइडिया पिछले एक साल से 25,000 करोड़ रुपये निवेशकों से जुटाने की कोशिश कर रही है.
यहां अब नए टेलीकॉम नियमों के आने के बाद उम्मीद की जा सकती है कि देश में टेलीकॉम सेक्टर की अस्थिरता समाप्त होगी और निवेशक निवेश करने के लिए आसानी से आगे आएंगे.
यहां हमें ध्यान रखना चाहिए कि इसका लाभ सबसे अधिक कस्टमर को मिलेगा, क्योंकि बाजार में जियो और एयरटेल की मोनोपोली (एकाधिकार) नहीं रह पाएगा.
सिर्फ दो टेलिकॉम कंपनी रहती तो स्वभाविक है कि कॉल और डेटा चार्ज महंगा हो जाता, जिसका कि नुकसान ग्राहकों को ही होता, लेकिन अच्छा है सरकार प्रतिस्पर्धा के पक्ष में है.
कस्टमर के पास विकल्प खुले रहेंगे तो वे जिस कंपनी की चाहे उसकी सेवा ले सकेंगे।निश्चित ही पीएम मोदी ने आज टेलीकॉम सेक्टर में कई ढाँचागत और प्रक्रिया सुधारों को मंजूरी देकर रोजगार को बचाने और नए रोजगार पैदा करने के तमाम अवसर खोल दिए हैं.
इसके साथ ही सरकार के निर्णय स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसके कारण से उपभोक्ताओं के हितों की व्यापक रक्षा संभव हुई है.