कोविड- 19 के कारण खर्चों में हुई बढ़ोतरी की भरपाई के लिए सरकार जनता पर करों (Tax) का बोझ नहीं बढ़ाएगी. केंद्रीय केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यह बात स्पष्ट की है. वित्त मंत्री ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बारे में स्पष्ट राय है कि कोविड-19 के चलते बढ़े आर्थिक बोझ के कारण हम करों में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं करेंगे. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि बजट में बढ़ाए हुए करों (Tax) की वसूली भी सरकार नहीं करेगी.
सरकार के बढ़े हुए खर्च, एनपीएस उर्वरक और कोविड टीकाकरण के आर्थिक बोझ के चलते क्या सरकार करों में बढ़ोतरी करने या संपत्ति कर को फिर से लागू करने पर विचार कर रही है, जैसे सवालों पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए वित्त मंत्री ने यह बात कही.
सीतारमण ने कहा कि कोरोना की पहली लहर के बाद इस बार हमने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन न लगाने का निर्णय लिया. इसलिए इस बार अर्थव्यवस्था में सुस्ती या ठहराव नहीं आया. उद्योग-धंधे चलते रहे और आर्थिक गतिविधियों व प्रवासी श्रमिकों पर भी बुरा असर नहीं पड़ने पाया. इसके साथ ही दूसरी लहर के दौरान माल की आवाजाही ठप नहीं हुई और कुछ ट्रेनें भी चलती रहीं, जिससे देश में आर्थिक गतिविधियों को जारी रखने में मदद मिली.
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछली बार की तरह ही इस बार भी कृषि क्षेत्र में बढ़ोतरी जारी रही. इसी के चलते इस सीजन में सरकार ने चावल और गेहूं की अब तक की सबसे ज्यादा खरीद की है. किसानों से खरीदी गई उपज का भुगतान सीधे डीबीटी के माध्यम से किसानों को किया गया. इस कारण आज किसानों के हाथ में खर्च के लिए पैसे मौजूद हैं.
यह सब अर्थव्यवस्था में रिकवरी के अच्छे संकेत हैं
महंगाई के आंकड़ों में चिंताजनक वृद्धि के बारे में सीतारमण ने कहा कि सरकार विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं जैसे खाद्य तेल, फल, सब्जियों और खाद्यान्न की कीमतों को काबू में रखने के लिए सभी तरह के प्रयास कर रही है. समय-समय पर मंत्रियों के समूह की बैठक कर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए कदम उठाने की कोशिश लगातार की जा रही है.
दाल की कीमतों को काबू में रखने के लिए उसके आयात की अनुमति दी जा रही है. मुझे लगता है कि इससे दालों के भाव नीचे आएंगे. इसके साथ खाद्य तेलों की कीमतों पर भी सरकार नजर रखे हुए है.
इस समय महंगाई में दिखाई दे रही बढ़ोतरी तात्कालिक है या यह यह अभी कुछ समय तक बनी रहेगी, इसके बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि हम सारे जरूरी इंतज़ाम कर रहे हैं कि आपूर्ति में कमी के चलते कीमतें बढ़ने न पाएं. मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ने न पाए, इसके मुकम्मल प्रयास किए जा रहे हैं. कीमतों को लेकर सरकार बहुत ही सतर्क है और स्थिति पर नज़र रखे हुए है. जरूरत महसूस होने पर सरकार की ओर से तुरंत हस्तक्षेप किया जाएगा.
पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने को लेकर वित्त मंत्री ने सफाई दी कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस वक्त कच्चे तेल के भाव चिंताजनक स्तर पर हैं. इसके अलावा हमें 2014 के बाद से विनिमय दर में हुए उतार-चढ़ाव को भी ध्यान में रखना चाहिए. ये सारी चीजें पेट्रोल और डीजल की कीमतों को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं.
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