अगर आप मध्यम उम्र के हो और आपको को घर खरीदना हो तो यकीनन वो एक बड़ा सपना पूरा करने जैसा है. क्यूंकि यह आपका पहला सबसे बड़ा निवेश है और अपने सपनों का घर बनाने के लिए बहुत पैसों की जरुरत होती है. ऐसे सपनों को पूरा करने के लिए होम लोन ही सबसे बड़ी उम्मीद होती है. यह आपको जरूरी सहायता प्रदान करती है जो केवल आपकी बचत से संभव नहीं हो सकता. हां यह एक लोन है, लेकिन इसके फायदे भी है. उदाहरण के तौर पर, अगर आप घर लेने की योजना बना रहे हो और वह निर्माणाधीन हो, तो जहां तक कर कटौती (Tax Exemption) का संबंध है, होम लोन की वजह से अच्छी खबर मिल सकती है. अगर आप किसी निर्माणाधीन संपत्ति पर होम लोन लेते है तो आयकर विभाग से आपको कुछ लाभ (Tax Exemption) मिल सकता है. अधिक जानकारी के लिए आगे बढ़ते है.
“एक निर्माणाधीन घर के लिए अगर आप लोन लेते है तो उसके ब्याज को पूर्व-निर्माण और निर्माण के बाद में विभाजित किया जाता है. जबकि निर्माण के बाद के ब्याज की अनुमति उस वर्ष में दी जाती है जिसमें इसका भुगतान किया जाता है, पूर्व-निर्माण प्रॉपर्टी पर ब्याज को पांच साल में बाटा जाता है जिसकी शुरवात प्रॉपर्टी निर्माण होने के बाद या कब्ज़ा लेने पर होती है, कुल राशि 2 लाख रुपये तक सीमित है,” शैलेश कुमार, पार्टनर, नांगिया और कंपनी LLP
एक तरह से निर्माणाधीन संपत्ति पर ब्याज की कटौती ऐसी संपत्ति के कब्जे तक के लिए टाल दी जाती है. इसके अलावा, भुगतान किए जाने पर मूल चुकौती के संबंध में धारा 80सी के तहत अलग से कटौती की अनुमति है. इसके अलावा, कंस्ट्रक्शन पूर्व ब्याज कटौती का दावा करने के लिए, कंस्ट्रक्शन लोन लेने से 5 साल के भीतर पूरा किया जाना चाहिए.
“होम लोन लेने वाले कंस्ट्रक्शन पूरा होने के बाद ही ब्याज पर कटौती का लाभ उठा सकते हैं. कंस्ट्रक्शन के पहले भरे हुए ब्याज को कंस्ट्रक्शन पूरा होने के बाद के वर्ष से धारा 24b के अंतर्गत पांच समान किश्तों में कटौती के लिए दावा कर सकते है. हालांकि, धारा 24b तहत दावा कि गयी राशि वित्तीय वर्ष में 2 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकती है,” paisabazaar.com के होम लोन प्रमुख रतन चौधरी ने समझाया.
धारा 80EEA के तहत, संपत्ति का स्टाम्प ड्यूटी मूल्य 45 लाख रुपये तक होना चाहिए, और लोन की मंजूरी 1 अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2022 के बीच होनी चाहिए. यह कटौती आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत ब्याज भुगतान के लिए 2 लाख रुपये की कटौती के अतिरिक्त है.
इसलिए, उधारकर्ता जो धारा 80EEA के तहत ब्याज दर कटौती का दावा करने के लिए अपात्र हैं और वित् वर्ष में 2 लाख रुपये से अधिक का ब्याज है, वो धारा 24b के तहत कटौती के रूप में चुकाए गए पूरे ब्याज घटक का लाभ नहीं उठा पाएंगे.
“पूर्व-निर्माण अवधि के दौरान भुगतान किया गया ब्याज एक करदाता के लिए अतिरिक्त कर लाभ ला सकता है, केवल तभी निर्माण के बाद की अवधि के लिए वार्षिक पोस्ट-निर्माण ब्याज हेड हाउस प्रॉपर्टी के तहत 2 लाख रुपये के अधिकतम नुकसान का दावा करने के लिए पर्याप्त नहीं है. यदि प्रति वर्ष निर्माण के बाद की अवधि का ब्याज 2 लाख रुपये की अधिकतम अनुमेय हानि का दावा करने के लिए पर्याप्त है, तो पूर्व-निर्माण अवधि के लिए भुगतान किए गए ब्याज से कोई कर लाभ नहीं मिलेगा, ”कुमार ने बताया.
इसके अतिरिक्त, कुमार ने कहा कि संबंधित प्रावधानों की पूर्ति के आधार पर विभिन्न धाराओं के तहत ऋण पर ब्याज के लिए कटौती की अनुमति है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि संपत्ति का उपयोग स्व-अधिकृत के रूप में किया गया है या किराए पर लिया गया है.
आयकर अधिनियम धारा 80 सी के तहत गृह ऋण पर मूलधन की कटौती भी प्रदान करता है जो कि जीवन बीमा पॉलिसी, शिक्षण शुल्क, भविष्य निधि आदि जैसी अन्य कटौती के साथ 1,50,000 रुपये की सीमा तक सीमित है।
सह-स्वामित्व वाली संपत्तियां संपत्ति में उनके संबंधित हिस्से के लिए प्रत्येक सह-स्वामी के हाथों में व्यक्तिगत संपत्तियों के रूप में मूल्यांकन योग्य हैं। इस प्रकार, अधिनियम के तहत कटौती लाभ प्रत्येक सह-मालिक को अलग से उपलब्ध होंगे.
“मूल पुनर्भुगतान के लिए 1,50,000 रुपये की सीमा और घर की संपत्ति के तहत नुकसान का दावा करने के लिए 2,00,000 रुपये की सीमा प्रत्येक सह-मालिक पर व्यक्तिगत रूप से लागू होगी. तदनुसार, संपत्ति के लिए कटौती की कुल राशि व्यक्तिगत नाम पर ऋण लेने की तुलना में अधिक हो सकती है, ”कुमार ने कहा.
AY 2020-21 से, दो घरों स्व-अधिकृत के रूप में दावा किया जा सकता है यानी इन दो संपत्तियों पर कोई काल्पनिक किराया नहीं लगाया जाएगा.
कुमार ने कहा “यह लाभ तभी मिलेगा जब आप अपने घर में रह रहे हो या आप रोजगार या व्यवसाय के कारण उस घर में नहीं रह रहे हो. पहले यह लाभ सिर्फ एक घर पर ही उपलब्ध था और दूसरे घर पर यदि आप रह रहे हो या नहीं आपको उस पर नोशनल रेंट देना ही पड़ता था.”
अपने घर को बेचने से शायद कुछ नुकसान हो सकता है. लेकिन इस नुकसान को समायोजित करने के विकल्प हैं. चौधरी का कहना है “घर बेचने से होने वाले नुकसान को कैपिटल लॉस माना जाता है. यदि संपत्ति की खरीद के 2 साल के भीतर नुकसान हो, तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस माना जाता है. यदि संपत्ति खरीदने के 2 साल बाद नुकसान हो, तो इसे लॉन्ग टर्म लॉस माना जाता है.”
उन्होंने आगे कहा कि शॉर्ट टर्म कैपिटल नुकसान को लॉन्ग टर्म कैपिटल मुनाफे के साथ चूका सकते है जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के साथ ही चूका सकते है. यदि नुकसान को समायोजित करने के लिए पर्याप्त पूंजीगत लाभ नहीं है, तो असमायोजित नुकसान को गृह संपत्ति की बिक्री से 8 साल तक आगे बढ़ाया जा सकता है.
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