Tax Collection: एक ओर जहां देश की जनता इस वक्त पेट्रोल-डीजल और घरेलू गैस की कीमतों में वृद्धि से परेशान है तो दूसरी और सरकार ने बढ़ी हुई कीमतों से अपना खजाना भर लिया है. केंद्र सरकार को चालू वित्तवर्ष की पहली छमाही में पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क (excise duty) से अच्छी आमदनी हुई है. पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स कलेक्शन चालू वित्तवर्ष की पहली छमाही में पिछले साल की तुलना में 33 प्रतिशत बढ़ा है. कोरोना के पहले के आंकड़ों से अगर तुलना की जाए तो पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क संग्रह में 79 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
द ट्रिब्यून की खबर के अनुसार केंद्रीय वित्तमंत्रालय में लेखा महानियंत्रक (Controller General of Accounts -CGA) ने आंकड़े जारी कर यह जानकारी दी है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल चालू वित्तवर्ष की पहली छमाही में सरकार को 1.28 लाख करोड़ रुपए की कमाई पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पादन शुल्क संग्रह से हुई थी. जबकि इस साल समान अवधि में कमाई ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
इस साल की पहली छमाही में सरकार ने 1.79 लाख करोड़ रुपए की कमाई की है. यह अप्रैल-सितंबर2019 के 95,930 करोड़ के आंकड़े से 79 प्रतिशत अधिक है.
तेल कंपनियों की कमाई में वृद्धि
तेल कंपनियों की कमाई में लगातार वृद्धि हो रही है. 2019-20 में उत्पाद शुल्क संग्रह से सरकार को 2.39 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई थी, जबकि 2020-21 में यही कमाई बढ़कर 3.89 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई.
अब 2021-22 में यह बढ़कर 1.79 लाख करोड़ हो गई है. जिस तेजी से सरकार ने तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की है उसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति में यह आंकड़ा 4 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है.
वाहन ईंधन की मांग में बढ़ोतरी
माल एवं सेवा कर (goods and service tax) जीएसटी के बाद से पेट्रोल-डीजल, विमान ईंधन और गैसों पर ही उत्पाद शुल्क लग रहा है. अन्य उत्पादों और सेवाओं पर केवल जीएसटी लगता है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2018-19 में कुल उत्पाद शुल्क संग्रह 2.3 लाख करोड़ रुपए था इसमें से 35,874 करोड़ राज्यों को दिए गए थे.
वहीं साल 2017-18 में उत्पाद शुल्क संग्रह 2.58 लाख करोड़ रुपए था जिसमें से 71,759 करोड़ रुपए राज्यों को दिए गए थे. देखा जाए तो सरकार को अधिकतर उत्पाद शुल्क संग्रह (excise duty) केवल पेट्रोल-डीजल की बिक्री से प्राप्त होता है.
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