वित्त मंत्रालय विदेशों में शेयरों की सीधी लिस्टिंग के लिए कर लाभ (Tax Benefit) की पेशकश करने के लिए तैयार है, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय और आरबीआई के बीच इसे लेकर चर्चा जारी है. हालांकि आरबीआई निजी तौर पर इसके लिए जोर दे रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार कुछ अधिकारियों ने वैश्विक सूचकांकों में भारतीय बॉन्ड को शामिल करने के कदम को लेकर कुछ टिप्पणियां की हैं.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय बैंक से बजट से पहले भारतीय बाजार और अर्थव्यवस्था पर सभी संभावित प्रभावों का पता लगाने को कहा है. एक सूत्र ने कहा, विशेषज्ञों द्वारा कई तरह के दावे किए गए हैं और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस कदम से हमें वास्तव में फायदा होगा या नहीं. इसी तरह विदेशी एक्सचेंजों पर भारतीय शेयरों की सीधी सूची के लिस्टिंग में वित्त मंत्रालय ने कुछ भारतीय स्टार्टअप से बातचीत की है, जिन्होंने पहले सरकार को बताया था कि वे विदेशों में सूचीबद्ध होने का इरादा रखते हैं. चूंकि यह कदम डेढ़ साल पहले शुरू किया गया था, इसलिए पेटीएम, पॉलिसीबाजार और ज़ोमैटो जैसे स्टार्टअप पहले ही भारत में सूचीबद्ध हो चुके हैं, जिससे टैक्स ब्रेक की तत्काल आवश्यकता कम हो गई है.
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने पिछले बजट से पहले ही इन शेयरों में विदेशी निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ में छूट की मांग की थी, लेकिन राजस्व विभाग इस पर राजी नहीं हुआ था. मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दशक में बॉन्ड प्रवाह 170 बिलियन डॉलर का हो सकता है, जिससे भारतीय बॉन्ड की कीमतें बढ़ सकती हैं, जबकि उधार लेने की दर कम हो सकती है. इससे देश की मुद्रा, कॉर्पोरेट और बांड और इक्विटी पर भी प्रभाव हो सकता है.
भारत अपनी महत्वपूर्ण आर्थिक प्रगति के बावजूद किसी भी वैश्विक बॉन्ड इंडेक्स का हिस्सा नहीं है लेकिन उम्मीद है कि यह 2022 तक हिस्सा हो सकते हैं. मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होने से भारतीय पूंजी को भी मदद मिल सकती है. केंद्र ने कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को अच्छा करने के लिए कई कदम उठाए हैं और वैश्विक बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होने से इसे बढ़ावा मिलेगा.
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