बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को बताया है कि संस्थाओं में इश्यू करने लायक विदेशी करंसियों से अधिक जगह फटे-पुराने नोट ले रहे हैं. द इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कर्जदाताओं ने केंद्रीय बैंक से इस दिशा में जरूरी कदम उठाने को कहा है.
एक बड़े बैंक के अधिकारी के मुताबिक, बैंकिंग सिस्टम में भले कुल पैसे बढ़े हैं, मगर ज्यादातर जगह फटे-पुराने नोट घेर रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक ऐसी करंसी पूरी तरह से हट नहीं जातीं, तब तक के लिए चेस्ट मनी होल्डिंग की सीमा बढ़ा दी जानी चाहिए.
उनका कहना है, ‘RBI ऐसी नीति बना सकता है जिसमें अगर खराब करंसी नोट की संख्या एक तय प्रतिशत, मान लीजिए 60%, से अधिक हो जाती है तो कैश होल्डिंग लिमिट को बढ़ा दिया जाएगा.’
RBI के क्षेत्रीय दफ्तर मनी होल्डिंग लिमिट बढ़ाने की अनुमति दे सकते हैं. केंद्रीय बैंक ने ‘क्लियल वर्ड कवरेज’ की शुरुआत की है, जिसके तहत विदेशी मनी चेस्ट से मिले बैंकनोट के ऑटोमैटिक रिट्रीवल और प्रोसेसिंग की जाएगी. साथ ही खराब नोटों को हटाया जाएगा.
केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में बैंक नोटों के सर्कुलेशन में औसत से अधिक बढ़त हुई थी. वैल्यू और संख्या के लिहाज से नोटों का सर्कुलेशन क्रमशः 16.8 प्रतिशत और 7.2 फीसदी बढ़ा था. कुल सर्कुलेशन में 31 मार्च, 2021, तक 500 और 2,000 के नोटों की हिस्सेदारी 85.7 पर्सेंट थी. यह सालभर पहले 83.4 प्रतिशत थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के कारण भी सिस्टम में खराब नोटों की संख्या बढ़ी है. हालांकि, ऐसा 2020-21 की दूसरी छमाही के दौरान तेजी से हुआ था.
सालभर पहले से तुलना करें तो खराब नोटों का डिस्पोजल 32 प्रतिशत घटा है. अभी कुल 3,054 फॉरेन मनी चेस्ट हैं, जिनमें से 55 प्रतिशत भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पास हैं.
कुछ का यह भी सुझाव है कि केंद्रीय बैंक को फॉरेन मनी चेस्ट का कवरेज पूरी तरह से बदल देना चाहिए. SIS इंडिया के ग्रुप मैनेजिंग डायरेक्टर ऋतुराज सिन्हा का कहना है, ‘कॉस्ट एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए नॉन-बैंकिंग संस्थाओं को करेंसी चेस्ट संभालने का काम सौंपा जा सकता है.’
RBI ने वार्निश कोटिंग वाले 100 रुपये के नोट ट्रायल के तौर पर पेश करने की योजना बनाई है. इससे नोट ज्यादा दिनों तक टिकते हैं.
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