पिछले कुछ सालों में बड़ी उथल-पुथल का सामना करने के बाद, भारत आखिरकार रिकवरी की राह पर है. IIP ग्रोथ, कोर सेक्टर ग्रोथ, पावर का बढ़ता कंजम्पशन, महंगाई में नरमी और अर्निंग में उछाल, सभी एक दिशा की ओर इशारा कर रहे हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत लंबे और सेकुलर ग्रोथ के रास्ते पर है. यदि ये चीजें स्थिर रहती हैं, तो यह स्ट्रक्चरल ट्रेंड आसानी से अगले दशक और उससे अधिक समय तक बना रहना चाहिए.
यह 10 लाख करोड़ डॉलर के GDP के युग की शुरुआत करने के लिए महत्वपूर्ण होगा. याद रखें कि हम इस उपलब्धि को हासिल करने वाले दुनिया के केवल तीसरे देश होंगे.
हालांकि, अगर इस सपने को हकीकत में बदलना है तो एक सेक्टर जिसे तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है, वह है रूरल इकोनॉमी या एग्रीकल्चर सेगमेंट. जबकि एग्रीकल्चर GDP का केवल ~ 18-20% का गठन कर सकता है. फिर भी यह कुल आबादी के 40% से अधिक को रोजगार देता है.
इस सेगमेंट की भागीदारी के बिना इकोनॉमी में बदलाव नामुमकिन लगता है. एक इंडस्ट्री के तौर पर कृषि का अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव पड़ता है. ऐसा लगता है कि पिछले कुछ सालों में ग्रामीण आबादी के व्यवहार में महत्वपूर्ण बदलाव आया है.
कंजम्पशन, खास तौर से डिस्क्रीशनरी सेगमेंट में काफी बढ़ रहा है. ऑटो इंडस्ट्री की किस्मत एग्रीकल्चर से जुड़ी हुई है क्योंकि यह यूटिलिटी व्हीकल और ट्रैक्टरों के एक बड़े हिस्से का इस्तेमाल करता है. इसी तरह, पाइप, कैमिकल और फर्टिलाइजर इंडस्ट्री इनपुट मटेरियल प्रोवाइड करते हैं.
वेयरहाउस, लेबर और टेक्नोलॉजी प्रोसेस को आसान करते हैं और अंत में हाथ का पैसा काफी हद तक FMCG और डिस्क्रीशनरी कंजम्पशन प्रोडक्ट पर खर्च किया जाता है. इस तरह, यदि भारत की इकोनॉमी को भारी ग्रोथ का अनुभव करना है, तो एग्रीकल्चर सेगमेंट एक प्रमुख ड्राइविंग फैक्टर होगा.
जलाशयों के बढ़ते स्तर, भूमि में सुधार, लगातार तीन सालों तक अच्छे मानसून ने रूरल इकोनॉमी को मजबूत गति प्रदान करने में योगदान दिया है. इसके अलावा, इसने आर्थिक मुश्किलों के बावजूद फार्म इनकम को FY20 और FY21 में 9% सालाना ग्रोथ दर्ज करने में सक्षम बनाया है. इसके अलावा, रेवेन्यू मिक्स किसानों के लिए डायवर्सिफाई हो रहा है और एग्री अब टोटल इनकम मिक्स का केवल 37% योगदान देता है, इस तरह ये फार्म आउटपुट पर निर्भरता को कम करता है.
सरकार द्वारा हाई MSP, जिसके चलते फसलों में डायवर्सिफिकेशन, आयात में कमी, और लेबर प्रोडक्टिविटी में इम्प्रूवमेंट, फार्म इनकम और एग्री सेक्टर को और गति प्रदान करेगा. इसके अलावा, सरकार द्वारा निर्यात की बढ़ी हुई खरीद एक और सकारात्मक संकेत है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, APMC एक्ट और PM किसान योजना जैसे गवर्नमेंट रिफॉर्म से नुकसान को कम करने, वित्तीय सहायता प्रदान करने, उत्पादकता में सुधार और किसानों को ज्यादा इनकम देने में मदद मिलेगी.
एग्री एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिसे बड़े पैमाने पर बाजारों द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है. MSP पैटर्न में बदलाव, प्रोडक्टिविटी में सुधार और रिसर्च पर बढ़े हुए खर्च से इस क्षेत्र में लगातार वृद्धि सुनिश्चित होगी.
हम मानते हैं कि ये बदलाव न केवल इकोनॉमी बल्कि शेयर मार्केट को भी स्थिर गति से बढ़ने में मदद करेंगे. हालांकि, हमेशा याद रखें – केवल अच्छी कंपनियों में निवेश करें.
(लेखक एंबिट एसेट मैनेजमेंट के फंड मैनेजर हैं. ये उनके निजी विचार हैं)
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