कोरोना वायरस के चलते बिक्री में आई सुस्ती और कमजोर कंज्यूमर डिमांड के बावजूद कार कंपनियां धीरे-धीरे रिकवरी की ओर बढ़ रही हैं. जुलाई में कार सेल्स में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 48% की ग्रोथ हुई है. लेकिन, अगर तेल की कीमतें इसी तरह से 100 रुपये लीटर के ऊपर बनी रहीं या इनमें और तेजी आई तो कार बिक्री में रिकवरी की उम्मीद धूमिल पड़ जाएगी.
पेंट-अप डिमांड, पर्सनल गाड़ी के लिए ग्राहकों की बढ़ती तरजीह और गैर-शहरी बाजारों में बढ़ती मांग के चलते कार कंपनियों की बिक्री में तेजी आ रही थी.
हालांकि, कोविड की दूसरी लहर का लोगों पर बेहद बुरा असर हुआ है, लेकिन कार कंपनियों ने इस दौरान तेजी से रिकवरी की है क्योंकि लोग वायरस के डर से अपनी गाड़ी से आवाजाही को तवज्जो दे रहे हैं.
दफ्तर और वेकेशन ठिकाने भी कार कंपनियों के लिए बिक्री के लिहाज से कोविड के पहले जैसी स्थितियां पैदा करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी का मानना है कि अगर कोविड की तीसरी लहर को रोकने में सफलता मिली तो कार सेल्स में और भी सुधार आ सकता है.
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव के मुताबिक, अगली तीन तिमाहियों में परफॉर्मेंस बड़े तौर पर वैक्सीनेशन की मुहिम और लोगों के सेफ्टी प्रोटोकॉल्स के पालन पर निर्भर करेगा.
कार सेल्स में तेजी से ये भी पता चलता है कि तेल की ऊंची कीमतें ऐसे लोगों पर असर नहीं डालतीं जो कि अपनी गाड़ियों को अपग्रेड करना चाहते हैं.
लेकिन, अगर तेल की कीमतें ऐसे ही ऊपर चढ़ती रहीं तो इससे एक बिंदु पर जाकर कार कंपनियों पर बुरा असर पड़ना शुरू हो जाएगा और रिकवरी की उम्मीदें धुंधली पड़ जाएंगी.
सेल्स में उत्साह इंडस्ट्री के लिए एक अच्छी खबर है, लेकिन ये देखना बाकी होगा कि ग्रोथ की ये रफ्तार जारी रहती है या नहीं.
कार कंपनियां अब नई लॉन्चिंग पर उम्मीद लगाए बैठी हैं. मौजूदा वक्त में काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि लोग अपनी तरजीह और जरूरत को किस तरह से बैलेंस करते हैं.
निश्चित तौर पर कार कंपनियों का भविष्य बड़े तौर पर इस पर टिका होगा.