महंगाई में नरमी जारी है. सब्जियों समेत अन्य खाने का सामान सस्ता होने से अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति चार महीने के निचले स्तर 4.87 फीसद पर आ गयी है. इसके साथ ही यह भारतीय रिजर्व बैंक के खुदरा महंगाई के चार फीसद के लक्ष्य के करीब पहुंच गयी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति (सीपीआई) सितंबर में तीन महीने के निचले स्तर 5.02 फीसद पर थी. इससे पहले जून में महंगाई दर 4.87 फीसद दर्ज की गयी थी.
सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई दर को दो फीसद घट-बढ़ के साथ 4 फीसद पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. केंद्रीय बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है. भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अक्टूबर की बैठक में चालू वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 फीसद रहने का अनुमान लगाया है. यह 2022-23 के 6.7 फीसद के मुकाबले कम है. खुदरा मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में जुलाई महीने में 7.44 फीसद पर पहुंच गयी थी. उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट जारी है.
अक्टूबर में खाद्य वस्तुओं की महंगाई 6.61 फीसद रही
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई अक्टूबर महीने में मामूली घटकर 6.61 फीसद रही. यह सितंबर में 6.62 फीसद और एक साल पहले सात फीसद थी. तेल और वसा खंड में मुद्रास्फीति घटकर 13.73 फीसद रही. सब्जियों, मांस और मछली तथा प्रकाश तथा ईंधन के मामले में भी महंगाई नरम रही. राज्यों में ओड़िशा, राजस्थान और हरियाणा में मुद्रास्फीति छह फीसद से ऊपर रही. बिहार, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पंजाब में मुद्रास्फीति राष्ट्रीय औसत 4.87 फीसद से अधिक रही. सबसे कम मुद्रास्फीति छत्तीसगढ़ और दिल्ली में रही.
राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण इलाकों में खुदरा मुद्रास्फीति 5.12 फीसद रही, जो शहरों में 4.62 फीसद है. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मानसून के असमान रहने के बाद खाद्यान्न की कीमतों में बढ़ोतरी अक्टूबर में कीमतों में दिखाई दी है. प्याज जैसी कुछ सब्जियों की ऊंची कीमत का असर आंशिक रूप से कई अन्य सब्जियों के दाम में मौसमी गिरावट से नहीं दिखा. इससे कुछ राहत मिली है.
उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि मौद्रिक नीति समिति अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में मौजूदा नीतिगत दर को बरकरार रखते हुए आक्रामक रुख बनाये रखेगी. जहां तक नीतिगत दर में कटौती का सवाल है, वह अगस्त, 2024 में देखने को मिल सकता है. कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी कुछ राहत प्रदान करती है. खासकर जब मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति संतोषजनक स्तर पर है. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर हमारा मानना है कि एमपीसी नीतिगत दर को बरकरार रखेगी. वहीं रुख को प्रबंधित करने के लिए नीतगत पहल के तहत नकदी का ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा. कीमत के जो आंकड़े हैं, वे चुनिंदा 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से जुटाए गए हैं. इसमें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं.
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