भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में एक बार फिर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. ऐसे में सस्ते लोन की आस खत्म हो गई है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए शुक्रवार को ब्याज दरों की घोषणा करते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि फिलहाल रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार रहेगा. ये निर्णय RBI MPC की 3 अप्रैल से शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में लिया गया.
केंद्रीय बैंक ने लगातार सातवीं बार एमपीसी बैठक में रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा है. आरबीआई गवर्नर ने बैठक में कहा कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था के सर्वोत्तम हित में उचित कदम उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है. एक विस्तृत मूल्यांकन के बाद आरबीआई एमपीसी सदस्यों में छह में से 5 ने नीतिगत रेपो दर अपरिवर्तित रखने का फैसला लिया है. उन्होंने यह भी बताया कि एमएसएफ और बैंक दर 6.75% पर बनी रहेगी. मुख्य मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट आई है, जिसके कारण एमपीसी को ‘सक्रिय रूप से इस पर नजर रखनी होगी, हालांकि फूड इंफ्लेशन के चलते महंगाई को काबू रखना मुख्य लक्ष्य होगा. आरबीआई का लक्ष्य महंगाई दर को चार प्रतिशत के भीतर रखना है.
आरबीआई का रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का ये फैसला वैश्विक आर्थिक रुझानों और जियो पॉलिटिकल तनाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. दरअसल अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. यूएस फेड जून में अपनी पहली कटौती करेगा.
एसबीआई ने लगाया था ये अनुमान
भारतीय स्टेट बैंक ने हाल ही में अपनी शोध रिपोर्ट में कहा था कि एमपीसी में दरों में कटौती की संभावना नहीं है. एसबीआई के मुताबिक उभरती अर्थव्यवस्था मौजूदा नीतियों का समर्थन करता है. ऐसे में केंद्रीय बैंक इसमें किसी तरह का बदलाव अभी नहीं करेगा. आरबीआई की पहली कटौती Q3FY25 में हो सकती है. बता दें रेपो रेट वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक दूसरे बैंकों को थोड़े समय के लिए पैसा उधार देता है.
क्या है एक्सपर्ट की राय?
यू ग्रो कैपिटल लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी, किशोर लोढ़ा का कहना है कि लिक्विडिटी बहुत ज्यादा चिंता का विषय नहीं है क्योंकि आरबीआई स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रहा है. इसलिए, आरबीआई महंगाई पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. महंगाई दर घटकर 5.1% हो गई है, जहां आरबीआई इसे 4% करने पर जोर दे रहा है. ऐसे में यह देखना होगा कि आरबीआई बेंचमार्क दरों में कब कटौती करेगा. उम्मीद है कि 5 फीसद से नीचे महंगाई दर आने पर ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है. भारत की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक वृद्धि होने की संभावना है.
लोढ़ा ने कहा कि मॉनसून के बेहतर रहने का अनुमान है लेकिन क्रूड की कीमतें बढ़ रही हैं जो महंगाई को बढ़ा सकती है. इस तरह देखें तो फूड और फ्यूल चिंता के विषय हैं.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।