image: pixabay, असाधारण मूल्यवृद्धि पर काबू पाने के लिए कई कारगर नीतिगत उपायों को लागू किया जा रहा है जिनमें कालाबाजारी को नियंत्रित करना, निर्यात पर काबू और आयात को बढ़ावा देकर उपलब्धता बढ़ाना, बफर स्टॉक बनाना और उसका समयबद्ध जारी होना सुनिश्चित करना शामिल है.
Pulses-Oil Price: जमाखोरी रोकने के लिए दालों (pulses) के बाद अब तिलहन (oilseeds) और खाद्य तेलों (edible oils) के स्टॉकिस्ट, मिल मालिकों और रिफाइनरों को भी अपने स्टॉक की जानकारी देनी होगी. सभी खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि के बीच, केंद्र ने राज्यों से कहा कि वे स्टॉकिस्ट को अपने स्टॉक की घोषणा करने के लिए निर्देश जारी करें. राज्य उनका सत्यापन (verification) भी कर सकते हैं.
आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सरकार ने मांगी है जानकारी
खाद्य मंत्रालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, राज्यों को आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, आपूर्ति या वितरण में लगे व्यक्तियों से जानकारी इकट्ठा करने और रिकॉर्ड का निरीक्षण (inspect) करने का अधिकार है.
पत्र में ये भी कहा गया है कि एक ऑनलाइन प्रणाली लागू की जाएगी जहां मिल मालिक, रिफाइनर, स्टॉकिस्ट और व्यापारी अपने स्टॉक का विवरण अपलोड कर सकते हैं और राज्य सरकार की एजेंसियां विवरणों को सत्यापित कर सकती हैं. ऐसी ही व्यवस्था दालों के लिए भी लागू की गई थी.
आयात शुल्क में कमी के बावजूद तेजी से बढ़ी है खाद्य तेल की कीमत
आयात शुल्क में कमी के बावजूद ‘खाद्य तेलों और तिलहन की कीमतों में अचानक उछाल’ को देखते हुए सरकार की ओर से ये कदम उठाया गया है.
मिनिस्ट्री के लेटर में कहा गया है कि कीमतों में यह उछाल जमाखोरी (hoarding) के कारण हो सकता है. एक लीटर सोयाबीन तेल का औसत खुदरा भाव एक साल पहले की तुलना में बढ़कर 153 रुपये हो गया है.
एक साल पहले यह 104 रुपये था. इसी तरह सूरजमुखी तेल (sunflower oil) की कीमत इस दौरान 116 रुपये से बढ़कर 172 रुपये हो गई है. पाम तेल के मामले में भाव 94.2 रुपये से बढ़कर 133.7 रुपये हो गए.
दालों के मामले में केंद्र ने खुदरा विक्रेता और थोक व्यापारी या स्टॉकिस्ट के लिए स्टॉक पर एक सीमा रखी है. केंद्र ने सीधे तौर पर कहा कि उसकी तिलहन और खाद्य तेल पर सीमा निर्धारित करने की कोई योजना नहीं है.