केंद्र सरकार के नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) का ऐलान करने के साथ ही सरकारी बैंकों और सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी संगठनों की ओर से इसका विरोध होने लगा है. ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (AIBOC) ने गुरुवार को नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन का विरोध करते हुए इसे सभी अहम इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टरों की सरकारी संपत्तियों का “थोक निजीकरण” करार दिया है.
दूसरी ओर, सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL की एंप्लॉयी यूनियन ने भी सरकार के भारतनेट प्रोजेक्ट के तहत बिछाई गई 2.86 लाख किमी ऑप्टिकल फाइबर को मॉनेटाइज करने और BSNL और MTNL के मालिकाना हक वाले 14,917 मोबाइल टावरों को भी निजी हाथों में सौंपने का विरोध किया है. BSNL एंप्लॉयीज यूनियन ने आरोप लगाया है कि मोबाइल टावर्स को कंपनियों को बेचना BSNL और MTNL के निजीकरण की शुरुआत है.
बैंक ऑफिसर्स यूनियन ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह संपत्तियां बेचने के रास्ते पर न जाए. संगठन ने एक बयान में कहा है, “एसेट मॉनेटाइजेशन के आवरण में इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट्स का होलसेल प्राइवटाइजेशन कई सेक्टरों में सभी PSU के डिसइन्वेस्टमेंट और स्ट्रैटेजिक सेल के साथ किया जा रहा है.”
उन्होंने कहा है, “इस तरह के निजीकरण से केवल चंद बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा, जबकि हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद नष्ट हो जाएगी.”
सोमवार को ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने NMP का ऐलान किया है. इसके तहत चुनी गई संपत्तियों में नेशनल हाइवेज, ट्रेन, रेलवे स्टेशन, पावर जनरेशन और ट्रांसमिशन, ऑयल एंड गैस पाइपलाइंस, टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर और माइंस एंड मिनरल्स आते हैं.
BSNL एंप्लॉयीज यूनियन ने आरोप लगाया है कि टावरों को निजी कंपनियों को बेचना BSNL और MTNL के निजीकरण की शुरुआत है.
अगर इन एसेट्स के मॉनेटाइजेशन को इजाजत दी जाती है तो सरकार का अगला टारगेट ऑप्टिक फाइबर के 7 लाख रूट किमी के मॉनेटाइजेशन का होगा.