देश फेस्टिव सीजन की दहलीज पर खड़ा हुआ है. जन्माष्टमी से लेकर छठ और उसके बाद नया साल आने तक लगातार जश्न और खरीदारी का माहौल देशभर में रहता है. लेकिन, कोविड और आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती की वजह से लोगों की कमाई पर पहले से संकट बना हुआ है. ऐसे वक्त पर ही खाने-पीने की चीजों की महंगाई में तेजी दिखाई दे रही है.
पहले से मुश्किल हालात का सामना कर रहे लोगों के लिए घर-गृहस्थी में काम आने वाली रोजमर्रा की चीजों के दाम में तेजी ने दिक्कतें और बढ़ा दी हैं. सरसों के तेल से लेकर दालों और राजमा के खुदरा भाव पिछले एक महीने में ऊपर चढ़ गए हैं. इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर दिखाई दे रहा है. साथ ही इसने त्योहारी सीजन में लोगों के बजट को और बिगाड़ने की आशंका भी पैदा कर दी है.
पिछले कुछ महीनों से खाने की चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले एक महीने की बात करें तो खाद्य तेल की कीमत में 20% तक का उछाल आ गया है. वहीं, दाल की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है. इसी के साथ राजमा की कीमत भी 20 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई है.
किराने की दुकान चलाने वाले लक्ष्मी नगर के दुकानदार सुरेंद्र का कहना है कि पिछले एक महीने से दाल और खाने के तेल का भाव बढ़ रहा है. एक और जहां दाल की कीमत 5 से 10 रुपये तक बढ़ गई हैं वहीं खाने के तेल का भाव भी 15 से 20 रुपये तक बढ़ा है. उन्होंने बताया कि राजमा का भाव भी 20 रुपये किलो बढ़ा है. किराना व्यापारी के मुताबिक अभी राजमा 125 रुपये किलो बिक रहा है. वहीं सरसो तेल 165 रुपये, रिफाइंड तेल 160 रुपये और अरहर दाल 110 रुपये किलो हो गई है.
थोक व्यापरियों का कहना है कि खाद्य सामाग्री की कीमत में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाले बदलाव हैं. जैसे ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य सामाग्री की कीमत बढ़ती है तो हमारे यहां भी कीमतों में बदलाव देखा जाता है.
महंगाई पर कंट्रोल की सरकारी कोशिशें
दूसरी तरफ, सरकार अपनी ओर से हर मुमकिन कोशिश कर रही है कि खाने-पीने की चीजों के दाम कंट्रोल में रहें. सरकार की OMSS नीति के चलते गेहूं और चावल की कीमतें पिछले एक महीने में कुछ नीचे आई हैं.
हालांकि, दालों और खाद्य तेलों के मामले में देश बड़े तौर पर इंपोर्ट पर टिका हुआ है. देश में खाने के तेल की खपत में हर साल 3 से 3.5 फीसदी की बढ़त हो रही है.
मौजूदा समय में एक साल में सरकार 60,000 से 70,000 करोड़ रुपये खर्च कर 1.5 करोड़ टन खाने का तेल खरीदती है. हर साल करीब 2.5 करोड़ टन खाने के तेल की जरूरत हमारे देश में होती है.
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