भारत में महंगाई नापने का सरकारी पैमाना जल्द ही बदलने वाला है. अभी तक सरकार मंहगाई के आंकडे़ दो तरीकों से पेश करती है. पहला खुदरा महंगाई दर यानी CPI और दूसरा थोक महंगाई दर यानी WPI. अब जल्द ही WPI की जगह प्रोड्यूसर प्राइस इन्डेक्स यानी PPI का इस्तेमाल किया जाएगा. ज्यादा G-20 देशों में थोक महंगाई मापने के लिए PPI का इस्तेमाल किया जाता है. अब भारत का साख्यिंकी आयोग भी इसे अपनाने पर विचार कर रहा है.
PPI विश्व स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं दोनों में प्राइस को ट्रैक करता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआत में भारत में PPI में केवल वस्तुओं को शामिल किया जाएगा। सेवाओं को अगले चरण में शामिल किया जाएगा। हालांकि PPI शुरू होने के तुरंत बाद WPI को बंद नहीं किया जाएगा.
PPI पर पिछले 20 वर्षों से चर्चा हो रही है. जबकि WPI से PPI की ओर बढ़ने की आवश्यकता 2003 में व्यक्त की गई थी, लेकिन 2014 में ही आगे बढ़ने के लिए कार्यप्रणाली और डेटा आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिए एक कार्य समूह का गठन किया गया था. ग्रुप की रिपोर्ट 2017 में आई लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं हुआ.
2019 में, सरकार ने WPI की वर्तमान श्रृंखला के संशोधन के लिए एक कार्य समूह का गठन किया था, जिसका आधार वर्ष 2011-12 है. समूह के सामने कार्य WPI के लिए एक नए आधार वर्ष का सुझाव देना और उन वस्तुओं को जोड़ने और हटाने का सुझाव देना था जिनकी कीमतों को सूचकांक निकालने के लिए ट्रैक किया जाता है. कार्य समूह को डब्ल्यूपीआई से उत्पादक मूल्य सूचकांक (पीपीआई) की ओर बढ़ने के लिए एक रोडमैप की सिफारिश करने का भी अधिकार दिया गया था.
डब्ल्यूपीआई की समीक्षा भी लंबित है, जो 2011-12 से आधार वर्ष को संशोधित करेगी. वर्तमान सूचकांक 697 वस्तुओं में मूल्य उतार-चढ़ाव को ट्रैक करता है.