आजाद भारत में पहली दफा केंद्रीय कैबिनेट में फेरबदल एक बेहद असाधारण वक्त में हुआ है. कई आर्थिक चुनौतियां देश के सामने मौजूद हैं. इनमें से हरेक देश के नेतृत्व के सामने एक बड़े सिरदर्द के जैसे है. बेरोजगारी, महंगाई, GST कलेक्शन में गिरावट, डिमांड में कमी, रेवेन्यू कमी के दौर में लगातार वेल्फेयर प्रोग्राम चलाना- इन तमाम चुनौतियों से उबरना आसान नहीं है.
कोविड के बाद रिकवरी की तैयारी के लिए मोदी ने एक अपेक्षाकृत युवा टीम को चुना है जो फ्रेश टैलेंट है और तमाम चीजों से वाकिफ है.
कई नए चेहरों को अलग-अलग मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मिसाल के तौर पर, अश्विनी वैष्णव को रेलवे और IT मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. इन दोनों मंत्रालयों का अर्थव्यवस्था के साथ गहरा रिश्ता है. वैष्णव IIT कानपुर से MTech हैं और व्हार्टन से उन्होंने MBA किया है. वे जनरल इलेक्ट्रिक और सीमेंस जैसी कंपनियों में काम कर चुके हैं.
राजीव चंद्रशेखर को इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया है. साथ ही उन्हें स्किल डिवेलपमेंट और आंत्रप्रेन्योरशिप की जिम्मेदारी भी दी गई है. वे खुद भी आंत्रप्रेन्योर रहे हैं और इलिनॉय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से उन्होंने कंप्यूटर साइंस में MTech किया है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय दिया गया है. उनके पास हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की डिग्री है. इसके अलावा, वे स्टैनफोर्ड से मैनेजमेंट की डिग्री ले चुके हैं. शिक्षा राज्यमंत्री पीएचडी हैं.
महामारी के दौर में अर्थव्यवस्था के सामने की चुनौतियों से निपटने में मदद देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दो सहयोगी दिए गए हैं. इनमें से एक बी के कराड को सर्जरी में डिग्री हासिल है. ऐसा जान पड़ता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिपरिषद में चेहरों का चुनाव करने में टैलेंट पर ज्यादा जोर दिया है.
अगर प्रधानमंत्री ने टैलेंटेड नए चेहरों को लाने पर जोर दिया है तो देश की आबादी भी उम्मीद कर सकती है कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मौजूद दिक्कतें जल्द ही खत्म हो जाएंगी.