PM Financial Inclusion Scheme: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY), नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई वित्तीय समावेशन योजना ने अगस्त में सात साल पूरे कर लिए हैं. इसी तरह कुछ अन्य योजनाएं भी हैं जैसे नमामि गंगे परियोजना (NGP) और स्वच्छ भारत मिशन (SBM). हाल की कुछ योजनाएं तेजी से काम कर रही हैं तो कुछ योजनाओं ने अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है. बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी एक रिपोर्ट में सरकार की कुछ प्रमुख योजनाओं की मौजूदा स्थिति का जायजा लिया है.
नमामि गंगे 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित पहली भव्य परियोजना थी. इसमें गंगा के किनारे सीवेज और अपशिष्ट उपचार कार्य, नदी की सफाई, वनीकरण (afforestation) और जैव विविधता संरक्षण शामिल था.
सात सालों के बाद, 315 स्वीकृत परियोजनाओं में से 132 पूरे हो चुके हैं, और स्वीकृत राशि 28,854 करोड़ रुपये में से 9,066 करोड़ रुपये जुलाई 2021 तक खर्च किए जा चुके हैं.
सरकार ने पिछले सात सालों में प्रधानमंत्री जन धन स्कीम के तहत तकरीबन 430 मिलियन बैंक अकाउंट खोले गए हैं. इन अकाउंट्स में औसत जमा राशि दिसंबर 2014 में 800 रुपये थी जो बढ़कर अगस्त 2021 में 3,366 रुपये हो गई है.
भारत सरकार की सफलतम योजनाओं में से एक स्वच्छ भारत मिशन है. इस योजना ने निर्मल भारत अभियान को एक नया रूप दिया है. यह योजना 2019-20 में देश के सभी घरों में निजी शौचालय उपलब्ध कराने में सफल रहा.
प्रधान मंत्री आवास योजना गरीबों को घर मुहैया कराने में काफी कारगर साबित हुआ है. इंदिरा आवास योजना के मुकाबले में प्रधानमंत्री आवास योजना ने काफी अच्छा काम किया है. इस योजना के तहत साल 2018-19 में 45 लाख घर बनाए गए थे.
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत भारत सरकार गरीब परिवारों को फ्री में एलपीजी गैस कनेक्शन मुहैया करती है. पिछले चार सालों में सरकार ने आठ करोड़ परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान किया है.
लेकिन लाभार्थी इसका उपयोग सही तरीके से नहीं कर रहे हैं. आधे लाभार्थी ऐसे हैं जिन्होंने एक साल में सिलेंडर दोबारा से रिफिल नहीं कराया है.
मोदी सरकार 2019 में बड़े पैमाने पर नकद हस्तांतरण योजना, प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) लेकर आई. यह योजना महज तीन सालों में ही लक्षित लाभार्थियों के 91 फीसद तक पहुंच गई है.
इस योजना के तहत लगभग 10 करोड़ किसानों को सरकार की ओर से साल में तीन बार 6,000 रुपये का नियमित नकद भुगतान मिलता है.
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 6,400 करोड़ रुपये की निर्धारित राशि का आधा ही लगातार दो सालों तक खर्च किया गया. कोविड -19 के कारण देश में सामान्य अस्पताल में भर्ती होने की दर में काफी बढ़ोतरी हुई इसके बावजूद भी खर्च अनुमानित बजट के मुताबिक नहीं हुआ.
ग्रामीण घरों में पीने का स्वच्छ पानी पहुंचना पिछली सरकारों की भी प्राथमिकता रही है, लेकिन जल जीवन मिशन ने नल प्रावधान की दर बढ़ा दिया है. फिर भी, लगभग 62 फीसद ग्रामीण घरों में पीने के लिए नल का पानी मौजूद नहीं है.
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