Petrol-Diesel Prices News: पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों जैसी बहुत ही कम चीजें हैं जो पिछले महीनों में सार्वजनिक चर्चा में शामिल रही हैं. पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों पर जब शोर बहुत तेज होने लगा तो सरकार ने इसके लिए दो तर्कों का सहारा लिया. पहला तर्क वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति के बारे में हैं, जिसके मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों का लगातार बढ़ना घरेलू खुदरा मूल्य को कम करने के रास्ते में एक बाधा है. वहीं दूसरा तर्क यह है कि पेट्रोल और डीजल से मिलने वाले बड़े राजस्व का उपयोग विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में किया जा रहा है. जिससे की महामारी के दौरान निचले तबके के लोगों की परेशानियों को कम किया जा सके. वह भी उस समय जब लाखों लोगों ने अपनी नौकरी गवा दी हैं और करोड़ों लोगों की मजदूरी में भी कटौती की गई है.
कच्चे तेल की कीमतें अब धीरे-धीरे लेकिन स्थिर रूप से नीचे आ रही हैं. हालांकि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने अभी तक अपनी कीमत में होने वाली गिरावट का जवाब नहीं दिया है. वहीं इसका तर्क यह दिया गया है कि वैश्विक कच्चे तेल में गिरावट अभी कम दरों पर बनी हुई है इसलिए, कीमतों में कटौती होगी.
अथॉरिटी को यह समझना चाहिए कि वह एक ऐसी समस्या से डील कर रहे हैं जो पूरे देश में गूंज रही है. यह आवाज उठाने वाले चंद मुखर लोगों की मांग नहीं है. इसका जबाव तुरंत दिया जाना चाहिए. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने कई बार कहा है कि अर्थव्यवस्था पर आ रहे लागत के दबाव को कम करने के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों को अपने ऐतिहासिक उच्चतम स्तर से नीचे लाने की जरूरत है.
भारत को दुनिया में पेट्रोल और डीजल पर सबसे ज्यादा दरों पर टैक्स लगाने का एक संदिग्ध सम्मान प्राप्त है.केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इस राजस्व पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं. पिछले कुछ हफ्तों में कम से कम दो रिसर्च एजेंसियों ने बताया है कि सेंट्रल बजट के लक्ष्यों से समझौता किए बिना टैक्स – केंद्र के लिए उत्पाद शुल्क और राज्यों के लिए वैट – को कम करके 8 रुपये / लीटर और ज्यादा की कमी होने की गुंजाइश की जा सकती है. आसान शब्दों में कहें तो केंद्र इन दोनों ईंधनों से जितना राजस्व बजट में अनुमान लगाता है उससे कहीं अधिक राजस्व निकाल रहा है. लंबे समय में सरकार को पेट्रोल और डीजल के टैक्स को अर्थव्यवस्था के बगीचे में कम लटकने वाले फल के रूप में मानना बंद कर देना चाहिए और इसे जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए.
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