Pension: देश में रिटायरमेंट के बाद पर्याप्त आय सुनिश्चित करने को लेकर Pension प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए रणनीतिक सुधारों की आवश्यकता है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि हाल ही में जारी हुए आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं. दरअसल मर्सर वैश्विक पेंशन सूचकांक (Mercer Global Pension Index-MCGPI) में कहा गया है कि भारत की पेंशन प्रणाली 43 व्यवस्थाओं की रैंकिंग में 40वें पायदान पर है. वहीं पेंशन के मामले में पर्याप्त लाभ से जुड़े पर्याप्तता उप-सूचकांक (adequacy sub-index) के मामले में भी निचले पायदान पर है.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में निजी पेंशन व्यवस्थाओं में कवरेज केवल 6% है यानी संगठित क्षेत्रों में कार्य करने वाले 6 प्रतिशत लोगों को ही इसका लाभ मिल रहा है और वहीं 90 फीसदी लोग ऐसे हैं जो असंगठित क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं जिन्हें पैसा तो मिल रहा है लेकिन पेंशन लाभ से वंचित हैं.
इन्हीं सब चीजों को देखते हुए पेंशन बचत के दायरे में कार्यबल को लाने के लिए बड़े कदम उठाने की जरुरत है. यह पर्याप्तता उप-सूचकांक (Adequacy sub-index) में सुधार करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सामाजिक सुरक्षा का दायरा मजबूत करने के लिए कार्यबल को पेंशन की व्यवस्था को लेकर स्वयं बचत करनी होगी.
प्रीति चंद्रशेखर मर्सर में हेल्थ एंड वेल्थ की इंडिया बिजनेस लीडर कहती हैं कि, स्वस्थ पेंशन प्रणाली एक स्थिर और समृध्द अर्थव्यवस्था बनाने में सकारात्मक योगदान देती है.
लेकिन भारतीय पेंशन प्रणाली एक ऐसे मोड़ पर है जहां भारत की अर्थव्यवस्था कोविड के प्रभाव से अभी पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने असंगठित क्षेत्र को लाभ पहुंचाने के उद्देशय से कई योजनाएं शुरू की हैं. प्रीति चंद्रशेखर ने कहा कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension System) धीरे-धीरे लोकप्रियता हासिल कर रही है.
वहीं रिपोर्ट में शामिल देशों में भारत का सूचकांक (Index) 43.3 है. सूचकांक के तहत तीन उप-सूचकांको को पर्याप्तता, स्थिरता और उपयुक्तता के आधार पर पेंशन व्यवस्था की मजबूती को रेखांकित किया गया है.
भारत में तीनों उप-सूचकांको को क्रमश: पर्याप्तता को 33.5, स्थिरता को 41.8 और उपयुक्तता को 61 अंक मिले हैं. पर्याप्तता उप-सूचकांक दिए जा रहे लाभों के पर्याप्त होने का बताता है यानी पेशन का लाभ जबकि स्थिरता उप-सूचकांक (stability sub-index) वर्तमान प्रणाली भविष्य में लाभ प्रदान करने में सक्षम है.
वहीं उपयुक्तता उप-सूचकांक (suitability sub-index) में कई विधायी आवश्यकताएं शामिल हैं जो प्रणाली की संचालन व्यवस्था और परिचालन को प्रभावित करती है.
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