देश के अन्नदाता को आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाने के लिए देश में तमाम प्रयास किए जाते हैं. इसलिए केंद्र के प्रयास यही हैं कि भारत के किसानों को हर हाल में वह सुविधाएं प्रदान की जाए, जिनसे उनकी आय में सहज वृद्धि हो. पिछले 7 साल में केंद्र सरकार ने जो कृषि आय बढ़ाने के लिए अनुसंधान पर जोर दिया है, उसने आज अपने आप में एक नया रिकॉर्ड बना लिया है.
पिछले 7 साल में रिकॉर्ड कृषि अनुसंधान पर फोकस
दरअसल, देश की यह पहली ऐसी केंद्र की सरकार बन गई है, जिसके कार्यकाल में कृषि अनुसंधान पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया है और नए तरह की विभिन्न फील्ड और बागवानी फसलों की किस्में विकसित की गई हैं. रिकॉर्ड्स देखें तो सिर्फ फील्ड और बागवानी फसलें ही नहीं बल्कि पिछले सात सालों के दौरान पोल्ट्री, शूकर, भेड़, भैंस के विभिन्न क्लोन, खाद्य मछली और सजावटी मत्स्य की अनेक नवीन नस्लें और नई वैक्सीन एवं नैदानिक किटो की भी कई नई नस्ल विकसित की गई हैं.
जहां पिछले कई सालों में आजादी के बाद महत्वपूर्ण रूप से विकसित नस्लों एवं किस्मों के विकास में अब तक कुल छह हजार के करीब नए प्रयास सफल हुए हैं, उनमें से संख्यात्मक रूप से देखें तो कृषि शोध के क्षेत्र में 2,042 नए प्रयोग एवं प्रयास पिछले सात साल के दौरान सफल रहे हैं.
गांव-गांव कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार पर ध्यान
इस संबंध में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि भारत सरकार गांव-गरीब-किसान-किसानी की प्रगति के लिए प्राथमिकता के साथ काम कर रही है. इस दिशा में कई योजनाएं प्रारंभ की गई हैं. देशभर में गांव-गांव अधोसंरचना विकसित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सहित आत्मनिर्भर भारत अभियान में कुल डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक के पैकेज शुरू किए गए हैं. हर सप्ताह मंत्रालय में इसकी प्रगति के लिए बैठकें होती हैं. इसी तरह 6 हजार 850 करोड़ रुपये के खर्च से 10 हजार नए एफपीओ के गठन की स्कीम तथा किसानों के सशक्तिकरण के लिए नए कृषि सुधार कानून जैसे ठोस कदम खेती को समृद्धता देने वाले हैं, ये कृषि विकास में मील का पत्थर साबित होंगे. 86 प्रतिशत छोटे-मझोले किसान इनके माध्यम से और मजबूत होंगे, जिससे देश की भी ताकत बढ़ेगी.
केवीके के जरिए किसान हो रहे समृद्ध
केंद्रीय मंत्री तोमर बताते हैं कि कोरोना के संकटकाल में भी कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के वैज्ञानिक, सूचना-संचार तकनीकी एवं कृषि विभाग के साथ मिलकर किसानों को उचित तकनीकों द्वारा लाभ पहुंचा रहे हैं. पशुधन एवं मछली पालन के विकास के लिए भी हमारे केवीके पूरे जज्बे के साथ कार्य कर रहे हैं तथा कृषि व सभी सम्बद्ध क्षेत्रों की सतत प्रगति व किसानों की आय बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं.
इन क्षेत्रों में हुआ नस्ल सुधार और उन्नत किस्म सुधार
उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) द्वारा विकसित की गई फसलों की नई उच्च पैदावार वाली तकनीक ने देश की खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में मूलभूत भूमिका निभाई है. इसके माध्यम से अकेले ही विभिन्न फील्ड और बागवानी फसलों की 5,500 से अधिक किस्में विकसित की हैं, जिसमें कि केंद्र में मोदी सरकार के समय में विगत सात वर्षों की बात की जाए तो 70 फील्ड फसलों की 1,575 किस्में विकसित की गई हैं.
कृषि मंत्री ने आंकड़ों पर गौर करते हुए बताया कि अकेले अनाजों की 770, तिलहनों की 235, दालों की 236, रेशा फसलों की 170, चारा फसलों की 104, गन्ने की 52 तथा अन्य फसलों की आठ किस्में शामिल हैं. इनके अलावा बागवानी फसलों की 288 किस्में भी अब तक विकसित की जा चुकी हैं. सरकार का ध्यान कृषि संबंधी सभी विकास पर बराबर से है, यही कारण है कि पोल्ट्री की 12 उन्नत किस्में, शूकर की नौ उच्च उत्पादक किस्में तथा भेड़ की एक उन्नत किस्म विकसित की गई.
विगत सात वर्षों के दौरान श्रेष्ठ जनन-द्रव्य का बहुगुणन करने के लिए 12 क्लोन की गई भैंसों का जन्म भी संभव हुआ है. मत्स्य उत्पादन को बढ़ाने के लिए, खाद्य मछली की 25 प्रजातियों तथा सजावटी मत्स्य की 48 प्रजातियों के लिए मत्स्य प्रजनन और बीज उत्पादन की प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं. इसके साथ ही बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन को ध्यान में रखकर पशुधन और मत्स्य में कुल 47 तथा 25 नई वैक्सीन, नैदानिक किटें भी विकसित की जा चुकी हैं.
कृषि यंत्रीकरण ने बनाया किसानों का जीवन आसान
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार में कृषि के तहत यंत्रीकरण को बढ़ाने, कटाई पश्चात हानियों को कम करने और किसानों की आय को कई गुना करने के उद्देश्य को लेकर अब तक बीते सात सालों के दौरान 230 कृषि मशीनरी-उपकरण एवं 168 प्रोटोकॉल विकसित किए गए हैं. भारत सरकार ने वर्ष 2014-15 में एक विशेष योजना कृषि यंत्रीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम) आरम्भ की थी, जिसमें अब तक बहुत व्यापक कार्य हुआ है. इस योजना में, अभी तक कुल 15 हजार 390 कस्टम हायरिंग केन्द्र, 362 हाईटेक हब्स, 14 हजार 235 कृषि मशीनरी बैंकों की स्थापना की जा चुकी है. जिसका परिणाम यह है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित किस्मों तथा सरकार की सक्षमकारी नीतियों के कारण देश में आजादी के बाद से अब तक कुल खाद्यान्नों में छह गुना वृद्धि संभव हो सकी है.
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