National Monetisation Plan: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना (National monetisation plan) की शुरुआत कर दी है. सरकार ने कहा कि वह इस योजना के तहत 2021-22 और 2024-25 के बीच 6,00,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का मॉनेटाइजेशन करेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि National Monetisation Plan के तहत दी जा रही संपत्ति सरकार के स्वामित्व में ही होगी. फिलहाल 6 लाख करोड़ रुपये की मॉनेटाइजेशन योजना पर राजनीतिक विरोध काफी तेज हो चुका है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार पूरी तरह से आश्वस्त है. उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को बिजली जैसे क्षेत्रों में संरक्षित किया जाएगा और संपत्ति का हस्तांतरण (transfer of assets) उचित नीतियों के मुताबिक ही किया जाएगा.
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बताया कि मॉनेटाइजेशन के सिद्धांतों और निजीकरण में बिक्री के तरीकों और उसके सिद्धांतो में बहुत फर्क होता है.
निजीकरण या किसी प्रॉपर्टी की बिक्री के तहत, प्राइवेट सेक्टर किसी व्यवसाय या प्रॉपर्टी का एकमात्र मालिक होता है. जो ऐसी संपत्तियों की भविष्य की बिक्री पर पूर्ण स्वायत्तता का अधिकार रखता है जिसमे सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहता है.
इसके विपरीत मुद्रीकरण योजना के तहत संपत्ति का मॉनेटाइजेशन संरचनात्मक कांट्रेक्चुअल भागीदारी (structural contractual partnerships) के तहत होता है, यह पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की तरह होता है, जो देश में तकरीबन 20 सालों से चल रहे हैं. एक तय समय सीमा के बाद संपत्ति सरकार के पास वापस आ जाती है.
अमिताभ ने बताया कि साल 2021-22 के बजट में ‘एसेट मॉनेटाइजेशन’ कार्यक्रम की घोषणा के बाद से, नीति आयोग संबंधित मंत्रालयों और वित्त मंत्रालय के साथ काम कर रहा है.
इस योजना में सार्वजनिक कल्याण, कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण और सामाजिक-आर्थिक विकास के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए रोडमैप तैयार किया गया है.
एक व्यापक विचार विमर्श के बाद इस योजना का रोडमैप तैयार किया गया है. संपत्तियों को रोल ऑउट करने का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है.
नीति आयोग के आईओ के मुताबिक सरकार को निवेशकों की रुचि पर पूरा भरोसा है और सरकार निवेश को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है.
इस समय सबसे महत्वपूर्ण पहलू इस योजना का इम्प्लीमेंटेशन है. केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत एसेट मॉनेटाइजेशन डैशबोर्ड (asset monetisation dashboard) के जरिए से इस योजना की निगरानी सुनिश्चित की जाएगी.
इसके साथ ही सरकार ने एक कोर ग्रुप का गठन भी इसकी निगरानी के लिए किया है.
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