Monsoon: जून में बढ़िया शुरुआत के बाद जुलाई में देश में मॉनसून की रफ्तार थम गई है. इससे खरीफ सीजन की बुआई को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं. कम बारिश के चलते खरीफ की बुआई वाला रकबा 9 जुलाई तक महज 5 करोड़ हेक्टेयर ही रहा है. जो कि पिछले साल 9 जुलाई तक हुई 5.56 करोड़ हेक्टेयर में बुआई से 10.4 फीसदी कम है. IMD ने इस साल सामान्य मॉनसून का अनुमान लगाया था. देश की अर्थव्यवस्था (economy) के लिए मॉनसून (Monsoon) बेहद अहम है क्योंकि अनाज (grains), तिलहन और दलहनों की पैदावार के लिए देश बड़े तौर पर बारिश पर टिका है.
26% गिरावट
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, इंडियन मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD या भारतीय मौसम विभाग) के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महामात्र ने कहा है कि जून में मॉनसून (Monsoon) की बारिश सामान्य से 10 फीसदी ज्यादा थी, लेकिन 18 जुलाई तक से 26 फीसदी कम हो गई है.
कम से कम 22 राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई है. देश में जून से लेकर सितंबर के अंत तक मॉनसून की बारिश होती है.
चावल की पैदावार
खरीफ सीजन की सबसे अहम फसलों में धान (rice) शामिल है. इसके लिए खेतों को ज्यादा पानी की जरूरत होती है. इसके अलावा, तिलहन, गन्नाे, सोयाबीन और कपास जैसी कई फसलों के लिए भी मॉनसून (Monsoon) की बारिश बेहद जरूरी होती है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) के मुताबिक, “पिछले साल 10 जुलाई तक मॉनसून की अच्छी प्रगति के चलते बुआई का काम तेजी से हुआ था. इस साल मॉनसून की शुरुआत अच्छी हुई, लेकिन बाद में ये रुक गया.”
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल इस वक्त तक 171.244 लाख हेक्टेयर रकबे पर धान (paddy) की रोपाई हो चुकी थी, जबकि इस साल ये आंकड़ा 161.97 लाख हेक्टेयर ही है.
आगे क्या होगा?
क्वांटईको की अर्थशास्त्री युविका सिंघल के मुताबिक, “मॉनसून रफ्तार में आई कमी जुलाई के दूसरे हफ्ते में भी जारी रही है. इससे गंभीर चिंता पैदा हो रही है. इस सीजन में 11 जुलाई तक मॉनसून (Monsoon) की बारिश 8 फीसदी कम रही है. लेकिन, अभी सीजन का 65 फीसदी हिस्सा बाकी है और ऐसे में बारिश में इजाफे से फसलों को लेकर बनी हुई चिंता कम हो सकती है.”
7 जुलाई को खत्म हफ्ते के दौरान जिन इलाकों में कम बारिश (Monsoon) हुई है उनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल हैं.
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