Manufacturing Companies: कोरोना महामारी से उबरने के बाद साल 2021 सितंबर को समाप्त तिमाही में सूचीबद्ध कंपनियों ने रिकॉर्ड मुनाफा कमाया. जिनका शुद्ध लाभ 2.5 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया है, जो अब तक का सबसे अधिक मुनाफा है. कंपनियों का वेतन बिल भी 2.1 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, सितंबर 2021 को समाप्त तिमाही में सूचीबद्ध कंपनियों का वेतन बिल जून 2021 को समाप्त तिमाही की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक था.
पिछली दो तिमाहियों की बात करें तो इसमें तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि लगभग 2 प्रतिशत थी, जबकि इससे पहले की तिमाही में यह लगभग 5 प्रतिशत था. गैर-वित्तीय कंपनियों का वेतन बिल भी 13.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा है, 2021-22 की पहली दो तिमाहियों में वित्त कंपनियों के वेतन बिल में अच्छी वृद्धि जारी है.
गैर-वित्त कंपनियों के वेतन बिल में हाल की दो तिमाहियों में वृद्धि हुई है. क्योंकि 2020-21 की पहली दो तिमाहियों में कोरोना के कारण इसमें गिरावट दर्ज की गई थी. वहीं विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) कंपनियों के वेतन बिल में जून 2020 की तिमाही के दौरान गिरावट देखी गई है. जो कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के कारण थी. सितंबर 2019 की तिमाही में वेतन 2.8 प्रतिशत, दिसंबर 2019 की तिमाही में 3.6 प्रतिशत और मार्च 2020 की तिमाही में 5.3 प्रतिशत तक घट गया.
कोरोना महामारी ने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में रोजगार की स्थिति को और भी बदतर कर दिया है. लिस्टेड मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों का रियल वेज बिल (वास्तविक वेतन) 2019-20 में 2.7 फीसदी घट गया था. इसके बाद 2020-21 में महामारी के कारण यह 3.9 प्रतिशत तक और गिर गया था. हालांकि अब महामारी से उबरने के बाद 2021-22 की पहली दो तिमाहियों में वास्तविक वेतन में 10.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
मैन्युफैक्चरिंग की तुलना में गैर-वित्त सेवा क्षेत्र में वेतन में तेजी से वृद्धि हुई है. नतीजतन गैर-वित्त सेवा क्षेत्र में दिया जाने वाला वेतन अब मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की तुलना में अधिक है. साल 2015 तक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में मजदूरी गैर-वित्त सेवा कंपनियों की तुलना में अधिक थी. साल 2016 और 2017 तक समान थी, लेकिन 2018 के बाद से गैर-वित्त सेवा कंपनियों का वेतन बिल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से अधिक हो गया.
गैर-वित्त सेवा कंपनियों का वेतन बिल सितंबर 2018 की तिमाही में 560 अरब रुपये से बढ़कर सितंबर 2019 की तिमाही में 620 अरब रुपये हो गया है. सितंबर 2021 की तिमाही में यह 750 अरब रुपये था.
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