वित्त वर्ष 22 की पहली तिमाही में 1,647 सूचीबद्ध निजी विनिर्माण कंपनियों की बिक्री में 75 प्रतिशत की “असाधारण रूप से उच्च” वृद्धि दर्ज की गई है. इसका मुख्य कारण एक साल पहले कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित वर्ष में तुलनात्मक आधार कमजोर होना है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सोमवार को जारी आंकड़े से यह जानकारी मिली.
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अपैल-जून में बिक्री 41.1 प्रतिशत घटी थी. निरपेक्ष रूप से विनर्माण से जुड़ी कंपनियों की बिक्री 2021-22 की पहली तिमाही में 7,02,791 करोड़ रुपये आंकी गयी. जबकि एक साल पहले 2020-21 की इसी तिमाही में यह 3,97,233 करोड़ रुपये थी.
महामारी के दौरान भी वृद्धि हासिल करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की बिक्री में वृद्धि 2021-22 की पहली तिमाही में 17.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी अवधि में 6.4 प्रतिशत थी.
निरपेक्ष रूप से बिक्री करीब 1,13,807 करोड़ रुपये मूल्य की रही. आरबीआई के अनुसार, ‘‘गैर-आईटी सेवा कंपनियों की बिक्री भी चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर बढ़ी. हालांकि समूह में शामिल दूरसंचार कंपनियों की आय इस दौरान घटी है.’’
वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के दौरान निजी कंपनियों के प्रदर्शन के आंकड़े 2,610 सूचीबद्ध गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) कंपनियों के संक्षिप्त तिमाही वित्तीय परिणामों से लिए गए हैं.
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘बिक्री में वृद्धि के अनुरूप विनिर्माण के साथ सेवा क्षेत्र की कंपनियों (आईटी और गैर-आईटी दोनों) के परिचालन लाभ में 2020-21 की पहली तिमाही में उच्च वृद्धि दर्ज की गई.’’ आरबीआई के अनुसार विनिर्माण कंपनियों ने बिक्री बढ़ने के साथ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कच्चे माल के साथ कर्मचारियों पर व्यय में भी वृद्धि की.